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नवजोत सिंह शेरगिल

(स्ट्रॉबेरी की खेती)

विदेश से वापिस आकर पंजाब में स्ट्रॉबेरी की खेती के साथ नाम बनाने वाला नौजवान किसान

जिंदगी में हर एक इंसान किसी भी क्षेत्र में प्रगति और कुछ अलग करने के बारे में सोचता है और यह विविधता इंसान को धरती से उठाकर आसमान तक ले जाती है। यदि बात करें विविधता की तो यह बात खेती के क्षेत्र में भी लागू होती है क्योंकि कामयाब हुए किसान की सफलता का सेहरा पारंपरिक तरीके का प्रयोग न कर कुछ नया करने की भावना ही रही है।

यह कहानी एक ऐसे ही नौजवान की है, जिसने पारंपरिक खेती को न अपना कर ऐसी खेती करने के बारे में सोचा जिसके बारे में बहुत कम किसानों को जानकारी थी। इस नौजवान किसान का नाम है नवजोत सिंह शेरगिल जो पटियाला ज़िले के गांव मजाल खुर्द का निवासी है, नवजोत सिंह द्वारा अपनाई गई खेती विविधता ऐसी मिसाल बनकर किसानों के सामने आई कि सभी के मनों में एक अलग अस्तित्व बन गया।

मेरा हमेशा से सपना था जब कभी भी खेती के क्षेत्र जाऊ तो कुछ ऐसा करूं कि लोग मुझे मेरे नाम से नहीं बल्कि मेरे काम से जानें, इसलिए मैंने कुछ नया करने का निर्णय किया -नवजोत सिंह शेरगिल

नवजोत सिंह शेरगिल का जन्म और पालन-पोषण UK में हुआ है, लेकिन जैसे-जैसे वह बड़ा हुआ, उन्हें अपने अंदर एक कमी महसूस होने लगी, जोकि उसकी मातृभूमि की मिट्टी की खुशबू के साथ थी। इस कमी को पूरा करने के लिए, वह पंजाब, भारत लौट आया। फिर उन्होंने आकर पहले MBA की पढ़ाई पूरी की और अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद निर्णय किया कि कृषि को बड़े पैमाने पर किया जाए, उन्होंने कृषि से संबंधित व्यवसाय शुरू करने के उद्देश्य से ईमू फार्मिंग की खेती करनी शुरू कर दी, लेकिन पंजाब में ईमू फार्मिंग का मंडीकरण न होने के कारण, वह इस पेशे में सफल नहीं हुए, असफल होने पर वह निराश भी हुए, लेकिन नवजोत सिंह शेरगिल ने हार नहीं मानी, इस समय नवजोत सिंह शेरगिल को उनके भाई गुरप्रीत सिंह शेरगिल ने प्रोत्साहित किया, जो एक प्रगतिशील किसान हैं।जिन्हें पंजाब में फूलों के शहनशाह के नाम के साथ जाना जाता है, जिन्होंने पंजाब में फूलों की खेती कर खेतीबाड़ी में क्रांति लेकर आए थे। जो कोई भी सोच नहीं सकता था उन्होंने वह साबित कर दिया था।

नवजोत सिंह शेरगिल ने अपने भाई के सुझावों का पालन करते हुए स्ट्रॉबेरी की खेती करने के बारे में सोचा, फिर स्ट्रॉबेरी की खेती के बारे में जानकारी इकट्ठा करना शुरू किया। सोशल मीडिया के माध्यम से जानकारी प्राप्त करने के बाद, उन्होंने फिर वास्तविक रूप से करने के बारे में सोचा, क्योंकि खेती किसी भी तरह की हो, उसे खुद किए बिना अनुभव नहीं होता।

मैं वास्तविक देखने और अधिक जानकारी लेने के लिए पुणे, महाराष्ट्र गया, वहां जाकर मैंने बहुत से फार्म पर गया और बहुत से किसानों को मिलकर आया -नवजोत सिंह शेरगिल

वहाँ उन्होंने स्ट्रॉबेरी की खेती के बारे में बहुत कुछ सीखा, जैसे स्ट्रॉबेरी के विकास और फलने के लिए आवश्यक तापमान, एक पौधे से दूसरे पौधे कैसे उगाए जाते हैं, और इसका मुख्य पौधा कौन-सा है और यह भारत में कहाँ से आता है।

हमारे भारत में, मदर प्लांट कैलिफ़ोर्निया से आता है और फिर उस पौधे से दूसरे पौधे तैयार किए जाते हैं -नवजोत सिंह शेरगिल

पुणे से आकर, उन्होंने पंजाब में स्ट्रॉबेरी के मुख्य पहलुओं पर पूरी तरह से जाँच पड़ताल की। जांच के बाद, वे फिर से पुणे से 14,000 से 15,000 पौधे लाए और आधे एकड़ में लगाए थे, जिसकी कुल लागत 2 से 3 लाख रुपये आई थी, उन्हें यह काम करने में ख़ुशी तो थी पर डर इस बात का था कि फिर मंडीकरण की समस्या न आ जाए, लेकिन जब फल पक कर तैयार हुआ और मंडियों में ले जाया गया, तो वहां फलों की मांग को देखकर और बहुत अधिक मात्रा में फल की बिक्री हुई और जो उनके लिए एक समस्या की तरह थी वह अब ख़ुशी में तब्दील हो गई।

मैं बहुत खुश हुआ कि मेरी ख़ुशी का कोई ठिकाना नहीं था क्योंकि जो लोग मुझे स्ट्रॉबेरी की खेती करने से रोकते थे, आज वे मेरी तारीफ़ करते नहीं थकते, क्योंकि इस पेशे के लिए पैसा और समय दोनों चाहिए -नवजोत सिंह शेरगिल

जब स्ट्रॉबेरी की खेती सफलतापूर्वक की जा रही थी, तो नवजोत सिंह शेरगिल ने देखा कि जब फल पकते थे, तो उनमें से कुछ छोटे रह जाते थे, जिससे बाजार में फलों की कीमत बहुत कम हो जाती थी। इसलिए इसका समाधान करना बहुत महत्वपूर्ण था।

एक कहावत है, जब कोई व्यक्ति गिर कर उठता है, तो वह ऊंची मंजिलों पर सफलता प्राप्त करता है।

बाद में उन्होंने सोचा कि क्यों न इसकी प्रोसेसिंग की जाए, फिर उन्होंने छोटे फलों की प्रोसेसिंग करनी शुरू की।

प्रोसेसिंग से पहले मैंने कृषि विज्ञान केंद्र पटियाला से ट्रेनिंग लेकर फिर मैंने 2 से 3 उत्पाद बनाना शुरू किया -नवजोत सिंह शेरगिल

जब फल पक कर तैयार हो जाते थे तो उन्हें तोड़ने के लिए मजदूर की जरुरत होती थी, फिर उन्होंने गांव के लड़के और लड़कियों को खेतों में फल की तुड़ाई और छांट छंटाई के लिए रखा। जिससे उनके गांव के लड़के और लड़कियों को रोजगार मिल गया। जिसमें वे छोटे फलों को अलग करते हैं और उन्हें साफ करते हैं और फिर फलों की प्रोसेसिंग करते हैं।फिर उन्होंने सोचा कि क्यों न उत्पाद बनाने के लिए एक छोटे पैमाने की मशीन स्थापित की जाए, मशीन को स्थापित करने के बाद उन्होंने स्ट्रॉबेरी उत्पाद बनाना शुरू किया। उनके ब्रांड का नाम Coco-Orchard रखा गया।

वे जो उत्पाद बनाते हैं, वे इस प्रकार हैं-

  • स्ट्रॉबेरी क्रश
  • स्ट्रॉबेरी जैम
  • स्ट्रॉबेरी की बर्फी।

वे प्रोसेसिंग से लेकर पैकिंग तक का काम स्वयं देखते हैं। उन्होंने पैकिंग के लिए कांच की बोतलों में जैम और क्रश पैक किए हैं और जैसा कि स्ट्रॉबेरी पंजाब के बाहर किसी अन्य राज्य में जाती हैं वे उसे गत्ते के डिब्बे में पैक करते हैं, जो 2 किलो की ट्रे है उनका रेट कम से कम 500 रुपये से 600 रुपये है। स्ट्रॉबेरी के 2 किलो के पैक में 250-250 ग्राम पनट बने होते हैं।

मैंने फिर से किसान मेलों में जाना शुरू किया और स्टाल लगाना शुरू कर दिया -नवजोत सिंह शेरगिल

किसान मेलों में स्टाल लगाने के साथ, उनकी मार्केटिंग में इतनी अच्छी तरह से पहचान हो गई कि वे आगामी मेलों में उनका इंतजार करने लगे। मेलों के दौरान, उन्होंने कृषि विभाग के एक डॉक्टर से मुलाकात की, जो उनके लिए बहुत कीमती क्षण था।जब कृषि विभाग के एक डॉक्टर ने उनसे जैम के बारे में पूछा कि लोगों को तो स्ट्रॉबेरी के बारे में अधिक जानकारी नहीं हैं, पर आपने तो इसका जैम भी तैयार कर दिया है। उनका फेसबुक पर Coco-Orchard नाम से एक पेज भी है, जहां वे सोशल मीडिया के जरिए लोगों को स्ट्रॉबेरी और स्ट्रॉबेरी उत्पादों के बारे में जानकारी देते हैं।

आज नवजोत सिंह शेरगिल एक ऐसे मुकाम पर पहुंच गए हैं, जहां वे मार्केटिंग में इतने मशहूर हो गए हैं कि उनकी स्ट्रॉबेरी और उनके उत्पादों की बिक्री हर दिन इतनी बढ़ गई है कि उन्हें अपने उत्पादों या स्ट्रॉबेरी को के लिए मार्केटिंग में जाने की जरूरत नहीं पड़ती।

भविष्य की योजना

वे अपने स्ट्रॉबेरी व्यवसाय को बड़े पैमाने पर लेकर जाना चाहते हैं और 4 एकड़ में खेती करना चाहते हैं। वे दुबई में मध्य पूर्व में अपने उत्पाद को पहुंचाने की सोच रहे हैं, क्योंकि स्ट्रॉबेरी की मांग विदेशों में अधिक हैं।

संदेश

“सभी किसान जो स्ट्रॉबेरी की खेती करना चाहते हैं, उन्हें पहले स्ट्रॉबेरी के बारे में अच्छी तरह से जानकारी होनी चाहिए और फिर इसकी खेती करनी चाहिए, क्योंकि स्ट्रॉबेरी की खेती निस्संदेह महंगी है और इसलिए समय लगता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि यह एक ऐसी फसल है जिसे बिना देखभाल के नहीं उगाया जा सकता है।”