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गुरविंदर सिंह सोही

(फूलों की खेती)

एक युवा खेतीप्रेन्योर की कहानी, जो हॉलैंड ग्लैडियोलस की खेती से पंजाब में फूलों के व्यापार में आगे बढ़ा

यह कहा जाता है कि सफलता आसानी से प्राप्त नहीं होती। आपको असफलता का स्वाद काफी बार चखना पड़ता है तभी आप सफलता के असली स्वाद का मज़ा ले सकते हो। ऐसा ही गुरविंदर सिंह सोही के साथ हुआ। वे एक सामान्य विद्यार्थी, जिसने खेतीबाड़ी का चयन उस समय किया जब वे पंजाब जे ई टी की परीक्षा में सफल नहीं हो पाये।

उन्होंने शुरू से ही निर्धारित किया था कि वे भेड़ की तरह काम नहीं करेंगे, ना ही अपने परिवार के व्यवसाय की तरह गेहूं-धान की खेती करेंगे। इसलिए उन्होंने मशरूम की खेती शुरू की लेकिन इसमें सफल नहीं हो सके। जल्दी ही उन्होंने नज़दीक के शहर खमानो में अपनी मिठाई की दुकान स्थापित की। लेकिन वे शायद इसके लिए भी नहीं बने थे। इसलिए उन्होंने घोड़े के प्रजनन का व्यवसाय शुरू किया और बाद में उन्होंने अपना व्यवसाय बदलकर जीप का काम शुरू किया।

इन सभी नौकरियों को छोड़ने के बाद 2008 में उन्हें एक खबर के बारे में पता चला कि पंजाब बागबानी विभाग हॉलैंड ग्लैडियोलस के बीजों पर सब्सिडी दे रहा है और फिर गुरविंदर सिंह सोही का वास्तविक खेल शुरू हुआ। उन्होंने 2 कनाल में ग्लैडियोलस को उगाया शुरू किया और धीरे धीरे एक ही फूल की खेती कई एकड़ में करनी शुरू की। फूल की स्थानीय किस्मों की तुलना में उन्हें उच्च मुल्य प्राप्त होना शुरू हो गया और अनकी आमदन में वृद्धि हुई।

एरिया बढ़कर 8 एकड़ से 18 एकड़ हो गया जिनमें से 9 उनके अपने थे और 9 ठेके पर थे। उन्होंने ग्लैडियोलस के लिए 10 एकड़, गेंदे के फूल के लिए 1 एकड़ और बाकी का क्षेत्र दालों, धान (मुख्यत: बासमती), गेंहू, मक्का और हरा चारा के लिए प्रयोग किया। ग्लैडियोलस की खेती में 7-8 महीने का समय लगता है इसकी बिजाई (सितंबर-अक्तूबर) और कटाई (जनवरी-फरवरी) में की जाती है। जबकि धान और गेहूं की बिजाई और कटाई इसके विपरीत होती है। इसलिए एक वर्ष में एक ही भूमि से आमदन होती है। इसके अलावा शादी के दिनों में ग्लैडियोलस की एक डंडी 7 रूपये मे बिकती है और 3 रूपये औसतन होता है। इस तरीके से वे एक वर्ष में अपनी आमदन बचा लेते हैं।

ग्लैडियोलस की फसल खजाना लूटने की तरह है क्योंकि हॉलैंड के बीजों का एक समय में 1.6 लाख प्रति एकड़ निवेश होता है जो कि बाद में 2 रूपये के हिसाब से एक फूल (बल्ब) बिकता है और उसी फसल से अगले वर्ष पौधे भी तैयार किए जा सकते हैं। हालांकि यह एक समय का निवेश होता है, पर बिजाई से लेकर बीज निकालने के लिए अप्रैल से मई महीने में ज्यादा श्रमिकों की आवश्यकता होती है। जिनका खर्चा लगभग 40000 रूपये एक एकड़ में आता है।

गेंदे की फसल भी ज्यादा लाभ देने वाली फसल है और इससे प्रत्येक मौसम में लगभग 1.25 लाख से 1.3 लाख रूपये लाभ होता है और यह लाभ गेंहू और धान से कहीं ज्यादा अच्छा है। इसके अलावा भूमि ठेके पर लेने, श्रमिक और अन्य निवेश लागत का खर्चा कुल लाभ में से निकालकर जो उनके पास बचता है वो भी उनके लिए काफी होता है।

उनका स्टार्टअप RTS फूलों के नाम से हुआ और यह कई शहरों जैसे पंजाब, चंडीगढ़, लुधियाना और पटियाला में तेजी से बढ़ गया। हालांकि उन्होंने उच्च शिक्षा नहीं ली, लेकिन वे समय समय पर अपने आपको अपडेट करते रहते हैं ताकि मंडीकरण में निपुण हो सकें और आज वे अपने ग्लैडियोलस के उत्पादन को अपने फर्म के फेसबुक पेज और अन्य ऑनलाइन वैबसाइट जैसे इंडियामार्ट के माध्यम से पूरे देश में बेच रहे हैं।

नए आधुनिक मार्किटिंग कौशल और प्रगति के साथ, गुरविंदर ने खुद को एग्री मार्किटिंग के बारे में भी अपडेट किया है और उनका काम फार्म टू फॉर्क के सिद्धांत पर प्रगति पर है। उन्होने और उनके 12 दोस्तों ने सरकारी विभागों की मदद से ड्रिप सिंचाई, सोलर पंप और अन्य कृषि यंत्र स्थापित किए हैं और किसान वेलफेयर कल्ब भी स्थापित किया है जिसकी मैंबरशिप 5000 रूपये प्रत्येक के लिए है ताकि भविष्य में अन्य मशीनरी जैसे रोटावेटर, पावर स्प्रे, और सीड ड्रिल खरीद सकें और जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए ग्रुप के सदस्यों ने हल्दी, दालें, मक्की और बासमती जैविक रूप से उगानी शुरू की है और अपने जैविक खाद्य उद्योग की मार्किट को बढ़ाने के लिए, उन्होंने व्हाट्स एप ग्रुप के माध्यम से ग्राहकों को सीधे उत्पादों का मंडीकरण शुरू कर दिया है और यह सुनिश्चित करने के लिए कि ग्राहक और किसान दोनों को उचित उत्पाद मिल जाए, वे मोहाली में सीधे 30 घरों में अपने उत्पाद बेचते हैं और जल्द ही वे वेबसाइट के माध्यम से अपनी सेवा शुरू करेंगे।

गुरविंदर सिंह सोही के युवा दिमाग ने सपने देखना बंद नहीं किया और जल्दी ही वे अपने उज्जवल विचारों के साथ आगे आएंगे।

किसानों को संदेश
किसानों को छोटे समूह बनाकर एकता में काम करना चाहिए, क्योंकि इस तरीके से कृषि मशीनरी को खरीदना और प्रयोग करना आसान होता हैं एक समूह में मशीनों का प्रयोग करने से खर्चा भी कम होता है जिसके परिणामस्वरूप एक लाभदायक उद्यम होता है। मैं भी ऐसे ही करता हूं। मैंने भी एक समूह बनाया है जिसमें समूह के नाम से मशीनों को खरीदा जाता है और समूह के सभी मैंबर इसका उपयोग कर सकते हैं।”