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अवतार सिंह

(सूअर पालन, प्रगतिशील किसान)

कई व्यवसायों को छोड़ने के बाद, इस किसान ने अपने लिए सुअर पालन को सही व्यवसाय के तौर पर चुना

व्यवसाय को बदलना कभी आसान नहीं होता और इसका उन लोगों के जीवन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है जो इस पर निर्भर होते हैं। विशेष कर परिवार के सदस्य और जब यह मसला किसी किसान की ज़िंदगी से संबंधित हो तो असुरक्षा की भावना और भी दोहरी हो जाती है। एक नया अवसर अपने साथ जोखिम और लाभ दोनों लाता है। व्यक्ति को यह समझना चाहिए कि उसे और उसकी जरूरतों को क्या बेहतर ढंग से संतुष्ट करता है क्योंकि एक सार्थक काम को खोजना बहुत महत्तवपूर्ण है। पंजाब के बरनाला जिले के एक ऐसे ही किसान श्री अवतार सिंह रंधावा ने भी कई व्यवसायों को बदला और अपने लिए सुअर पालन को सही व्यवसाय के तौर पर चुना।

अन्य किसानों की तरह अवतार सिंह ने अपनी 10 वीं की पढ़ाई पूरी करने के बाद अपने पिता बसंत सिंह रंधावा के साथ गेहूं और धान की खेती शुरू की। लेकिन जल्दी ही उसने महसूस किया कि उसकी ज़िंदगी का मतलब खेतीबाड़ी के इस पारंपरिक ढंग के पीछे जाना नहीं है। इसलिए उसने ग्रोसरी स्टोर व्यापार में निवेश करने का सोचा। उसने अपने गांव- चन्ना गुलाब सिंह में एक दुकान खोली लेकिन कुछ समय बाद उसने महसूस किया कि वह इस व्यवसाय में संतुष्ट नहीं है। किसी ने मशरूम की खेती के बारे में सुझाव दिया और उसने इसे करना भी शुरू किया लेकिन उसने समझा कि इसमें बहुत निवेश की जरूरत है और यह उद्यम भी खाली हाथों से समाप्त हो गया। अंत में उसने एक व्यक्ति से सुना कि सुअर पालन एक लाभदायक व्यवसाय है और उसने सोचा कि क्यों ना इसमें भी एक कोशिश की जाये।

इससे संबंधित व्यक्ति से सलाह करने के बाद अवतार ने पी.ए.यू से सुअर पालन और सुअर के उत्पादों की प्रोसेसिंग की ट्रेनिंग ली। शुरूआत में उसने 3 सुअरों के साथ सुअर पालन शुरू किया और सख्त मेहनत के 3 वर्ष बाद, आज सुअरों की गिणती बढ़कर 50 हो गई है। 3 वर्ष पहले जब उसने सुअर पालन शुरू किया था तब कई गांव वाले उसके और उसके पेशे के बारे में बात करते थे। क्योंकि अपने गांव में सुअर पालन शुरू करने वाले अवतार सिंह पहले व्यक्ति थे इसलिए कई ग्रामीण लोग उलझन में थे और बहुत से लोग सिर्फ इस बात का विश्लेषण कर रहे थे कि इस का परिणाम क्या होगा। लेकिन रंधावा परिवार के खुश चेहरे और बढ़ते हुए लाभ को देखने के बाद कई ग्रामीणों में सुअर पालन में दिलचस्पी पैदा हुई।

“जब मैंने अपनी पत्नी को सुअर पालन के व्यवसाय के बारे में बताया तो वह मेरे खिलाफ थी और वह नहीं चाहती थी कि मैं इसमें निवेश करूं। यहां तक कि मेरे रिश्तेदार भी मुझे मेरे काम के लिए ताना देते थे क्योंकि उनके नज़रिये से मैं बहुत छोटे स्तर का काम कर रहा था। लेकिन मैं निश्चित था और इस बार मैं पीछे नहीं मुड़ना चाहता था और किसी भी चीज़ को बीच में छोड़ना नहीं चाहता था।”

आज अवतार सिंह अपने काम से बहुत खुश और संतुष्ट हैं और इस व्यव्साय की तरफ अपने गांव के दूसरे किसानों को भी प्रोत्साहित करते हैं। उसने अपने फार्म पर प्रजनन का काम भी स्वंय संभाला हुआ है। 7-8 महीनों के अंदर-अंदर वह औसतन 80 सुअर बेचते हैं, और इससे अच्छा लाभ कमाते हैं।

वर्तमान में वह अपने पुत्र और पत्नी के साथ रह रहे है, और छोटे परिवार और कम जरूरतों के बाद भी वह अपने घर के लिए गेहूं और धान खुद ही उगा रहे हैं। अब उनकी पत्नी भी सुअर पालन में उनका समर्थन करती है।

अवतार की तरह पंजाब में कई अन्य किसान भी सुअर पालन का व्यवसाय करते हैं और आने वाले समय में यह उनके लिए बड़ा प्रोजेक्ट है क्योंकि पोर्क और सुअर के उत्पादों की बढ़ती मांग के कारण सुअर पालन भविष्य में तेजी से बढ़ेगा। कुछ भविष्यवादी किसान इसे पहले ही समझ चुके थे और अवतार सिंह रंधावा उनमें से एक हैं।

भविष्य की योजना:

अवतार अपनी ट्रेनिंग का उपयोग करने और सुअर उत्पादों की प्रोसेसिंग शुरू करने की योजना बना रहे हैं वे भविष्य में रंधावा पिग्गरी फार्म का विस्तार करना चाहते हैं।

संदेश
आधुनिकीकरण के साथ खेती की कई नई तकनीकें आ रही हैं और किसानों को इनके बारे में पता होना चाहिए। किसानों को उस रास्ते पर चलना चाहिए जिसमें वे विश्वास करते हैं ना कि उस मार्ग पर जिसका अनुसरण अन्य लोग कर रहे हैं।