बाढ़ के कारण बिहार किसानों को लगा तक़रीबन 22 अरब का झटका

August 18 2017

By: Krishi Jagran, 18 August, 2017

बिहार में बाढ़ ने भीषण तबाही मचायी है | जान माल के भारी नुकसान के साथ सूबे के किसानों की कमर टूट गयी है | जानकारी के मुताबिक राज्य में चार लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में फैली फसल अभी भी बाढ़ के पानी में समायी हुई है | बाढ़ का पानी जल्दी निकले, तो हो सकता है किसान कुछ समाधान पर काम करें, नहीं तो किसानों को अनुमानतः 22 अरब का चूना लग जायेगा | बताया जा रहा है कि तीस हजार हेक्टेयर में डूबी मक्के की फसल का आकलन किया जायेगा, तो नुकसान की राशि में भारी बढ़ोतरी होगी | कृषि विभाग की ओर से मुहैया जानकारी के मुताबिक, सूबे में चावल की उत्पादकता 25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है | अगर चार लाख हेक्टेयर का भी आकलन किया जायेगा, तो डेढ़ करोड़ क्विंटल धान का नुकसान दिख रहा है. धान कीमत न्यूतम समर्थन मूल्य 1410 रुपये प्रति क्विंटल की दर से 22 अरब रुपये होगी.

कृषि जानकारों के मुताबिक यह राज्य के फसलों की क्षति का आकलन पूरी तरह प्राथमिक है | बिहार के पूर्णिया, गोपालगंज, कटिहार, किशनगंज और बाकी जिलों में अभी भी पानी भरा हुआ है | किसानों की कमर टूट चुकी है | पानी में डूबे फसल की वजह से किसानों के सपनों भी पानी में तैर रहे हैं | मौसम का मिजाज अभी भी पूरी तरह बदलता नहीं दिख रहा है | किसानों का भाग्य बाढ़ का पानी उतरने के बाद बची हुई फसलों की स्थिति देखने के बाद ही तय होगा. कृषि के जानकार मानते हैं कि कई किसानों ने पैसे और कर्ज लेकर खेती की थी | उनको पूरी तरह से सरकारी सहायता की तत्काल जरूरत पड़ेगी | खासकर धान की खेती चौपट हो सकती है | अब उनके पास ऐसा कोई विकल्प नहीं होगा, ताकि वह अपनी फसलों को दोबारा लगा सकें|

विभाग की ओर से आपदा की स्थिति में सरकार की ओर से किसानों को सहायता दी जाती है | जानकारी के मुताबिक किसानों को यह राशि फसल के 33 प्रतिशत या इससे अधिक नुकसान होने पर मिलता है | कृषि विभाग की रिपोर्ट पर आपदा प्रबंधन विभाग असिंचित क्षेत्र के किसानों के लिए 6800 रुपये और सिंचित क्षेत्र के लिए 13500 रुपये प्रति हेक्टेयर मदद देती है | किसानों की मानें, तो हालांकि यह मदद पूरी तरह उनके लिए कारगर नहीं होती है, फिर भी उन्हें एक सहारा मिल जाता है|

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