दोहरी मार : किसानों को फसलों की बिक्री पर नहीं हो रहा मुनाफा

April 14 2020

लॉकडाउन के दौरान किसानों को दोहरी मार का सामना करना पड़ रहा है। गेहूं और सरसों की फसल पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) नहीं मिल रहा है वहीं मजदूरों की कमी से फसलों को मंडी में ले जाने पर भी कम रेट मिल रहा है। लॉकडाउन के दौरान मंडी में फसल पहुंचाने के मद में भी अधिक खर्च हो रहा है।

नजफगढ़ के गांवों में गेहूं की कटाई के बाद मंडी में भेजने का सिलसिला लगातार चल रहा है। मजदूरों की कमी के कारण कंबाइन की मदद से फसलों की कटाई हो रही है तो दूसरी तरफ माल ढुलाई के रेट में भी थोड़ी बढ़ोतरी का असर किसानों की जेब पर पड़ने लगा है। भारतीय किसान यूनियन, दिल्ली के प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र डागर ने बताया कि गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1925 जबकि सरसों का 4425 रुपये प्रति क्विंटल है। 

फसलों की खरीद के लिए भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) या किसी अन्य एजेंसी के न पहुंचने की वजह से किसानों को उचित रेट नहीं मिल रहा है। न तो फसलों पर एमएसपी का लाभ मिल रहा है और न ही प्रदेश सरकार की ओर से किसी तरह की राहत दी जा रही है। 

रोजाना मंडी में पहुंच रही हैं 175 गाड़ियां 

नजफगढ़ की अनाज मंडी में लॉकडाउन के दौरान फसलों की आवक को सीमित कर दिया गया है। अब रोजाना 175 गाड़ियों में फसलें पहुंचाई जा सकती हैं। किसानों ने प्रशासन से इसे 200 करनेे की मांग की थी।


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स्रोत: अमर उजाला