अब किसान ही बनेंगे बीज बैंक के मालिक

July 24 2020

देश के किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रधानमंत्री की घोषणा फलीभूत हो रही है। केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण विभाग ने बीज बैंक योजना को बड़े पैमाने पर शुरू करने का एलान किया है। इसके तहत अब देशभर में जिलेवार बीज बैंक बनेंगे।

इसके लिए किसानों को ही बीज बैंक का लाइसेंस दिया जाएगा। इससे किसान बीज के उत्पादन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बन सकेंगे। इस योजना में देश के साढ़े छह सौ जिलों में बीज बैंक खोले जाने हैं। देश में इस समय लगभग तीस फीसदी बीज किसान स्वयं बनाता है बाकी बीजों के लिए उसे बाजार और सरकारी सस्ते बीजों की उपलब्धता पर निर्भर रहना पड़ता है।

ऐसे में कई बार उसे बीज की गुणवत्ता के चलते बड़ी ही कम पैदावार या बीमार फसल जैसी दुश्वारियां भी झेलनी पड़ती हैं। ऐसे में किसानों को इस दिशा में सक्रिय करने के लिए मंत्रालय ने पूर्व के लाइसेंस नियमों में भी काफी ढील दी है। इसमें अब  बीज बैंक के लाइसेंस के लिए कक्षा दस पास होना ही काफी होगा।

किसान को स्थानीय कृषि प्रसार केंद्र पर प्रशिक्षण देकर प्रशिक्षित कर दिया जाएगा। लाइसेंस के लिए अन्य योग्यताएं हैं उसके पास अपनी या बटाई अथवा पट्टेदारी में कम से कम एक एकड़ जमीन होनी चाहिए। उसे राज्य स्तर से बीज के स्तर और मानकों के लिए निबंधन और प्रमाणन करना होगा।

सरकार द्वारा उन्हें एक मुश्त रकम प्रोत्साहन राशि के रूप में दी जाएगी। इसके अलावा भंडारण की सुविधा के लिए प्रशिक्षण के साथ उपलब्ध संसाधनों पर सब्सिडी भी दी जाएगी। बीज बैंक का लाइसेंस लेने वाले किसान को उसके बीज का बाजार दिलाने की जिम्मेदारी राज्य सरकार की होगी।

बीज का मूल्य भी पहले से ही तय किया जाएगा। इसके लिए फसल के न्यूनतम समर्थन मूल्य एमएसपी पर 20 फीसदी राशि को जोड़कर प्रसंस्करण बीज के आधार पर क्रय मूल्य का निर्धारण राज्य बीज निगम करेगा। इसके लिए बीज निगम पहले प्रयास में बीज उत्पादक किसानों के खलिहानों से बीजों का संग्रहण करेगा।

नए बीज उत्पादक किसानों को बीज उत्पादन हेतु क्षेत्रीय प्रबंधन एवं केंद्रीय प्रभारी द्वारा आधार बीज मूल्य का भुगतान लेकर उपलब्ध कराया जाएगा। कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि जिला स्तर पर बीज बैंक हो जाने से किसान को अच्छे और सस्ते बीज मिलने की राह तो आसान होगी ही साथ ही किसान भी उच्च गुणवत्ता की फसल को उपजाने के लिए प्रोत्साहित होंगे, क्योंकि उन्हें इस प्रक्रिया के चलते महंगे बीजों से निजात और उत्पादक की विश्वसनीयता का लाभ मिल सकेगा।

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स्रोत: Amar Ujala