शहरों का बढ़ेगा दायरा, एनसीआर के किसान होंगे मालामाल

September 03 2021

एनसीआर प्लानिंग बोर्ड दिल्ली-एनसीआर के किसानों की आमदनी बढ़ाने का खाका तैयार कर रहा है। तेजी से हो रहे शहरीकरण के बीच 2041 तक की जरूरतों को देखते हुए बोर्ड का जोर खाद्य प्रसंस्करण और डेयरी उत्पादों पर है। बोर्ड को उम्मीद दिल्ली-एनसीआर में तेजी से बढ़ रही आबादी से है। इसका किसानों के उत्पादों का उपभोक्ता माना गया है। सही तकनीक व बेहतर बाजार मिलने से किसानों की आमदनी भी बढ़ेगी। योजना में किसानों को बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराने से लेकर उनके उत्पादों की बाजार तक पहुंच सुनिश्चित करने तक का प्रावधान होगा।

एनसीआर प्लानिंग बोर्ड के रीजनल प्लान-2041 के ड्राफ्ट में इससे जुड़े प्रस्ताव शामिल हैं। ड्राफ्ट में योजना लागू करने की इकाई 2000 से ज्यादा आबादी गांव होंगे। इन गांवों में सब्जियों और दूध के प्रसंस्करण के लिए बुनियादी सुविधाएं विकसित की जाएंगी। इससे उत्पादों की गुणवत्ता बरकरार रखते हुए उपभोक्ताओं तक डेयरी और दूसरे कृषि उत्पाद पहुंचाए जा सकेंगे।

बोर्ड के प्रस्ताव में कहा गया है कि पूरे इलाके का तेजी से शहरीकरण हो रहा है। 2011 की 54.56 फीसदी की तुलना में 2041 तक करीब 67 फीसदी आबादी शहरी होगी। वहीं, 2011 की जनगणना के हिसाब से दिल्ली-एनसीआर की 5.81 करोड़ की आबादी के 2041 में करीब 11 करोड़ होने का अनुमान है। बोर्ड तेजी से होने वाले शहरीकरण को अवसर के तौर पर मान रहा है। कृषि क्षेत्र पर फोकस रखकर न सिर्फ शहरी आबादी की जरूरतें पूरी होंगी, बल्कि किसान की आमदनी भी तेजी से बढ़ने की उम्मीद बोर्ड को है।

अभी क्षमता का नहीं हो रहा इस्तेमाल

बोर्ड ने बताया कि अभी तक देश में 25 फीसदी कृषि उत्पादों का प्रसंस्करण हो रहा है। दिल्ली-एनसीआर की हालत भी ज्यादा बेहतर नहीं है। ऐसे में बुनियादी सुविधाओं का विकास खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के क्षेत्र में इलाके को अग्रणी बना सकता है। सारी कोशिश इसी के इर्द-गिर्द बुनी जा रही है।

हरियाणा की तर्ज पर चलेंगे यूपी और राजस्थान

बोर्ड ने मसौदे में कहा है कि एनसीआर की आबादी को दूध या खाद्य उत्पादों और सब्जियों की आपूर्ति करने के लिए हरियाणा मॉडल बेहतर हो सकता है। इसी तर्ज पर उत्तर प्रदेश और राजस्थान के गांवों में एग्रो और मिल्क प्रोसेसिंग यूनिट्स का जाल बिछाना होगा। 2000 की आबादी को एक यूनिट मानकर ग्रामीण क्षेत्रों में दुग्ध उत्पादों व खाद्य प्रंस्करण की सुविधाएं विकसित की जाएंगी। आगे इसे बड़े हब तक पहुंचाने के लिए द्रुतगामी परिवहन सेवाओं का विकास होगा। यह हब एनसीआर के सभी शहरों से जुड़े होंगे। इससे किसानों के उत्पाद आसानी से उपभोक्ताओं तक पहुंच सकेंगे।

पांच गुना बढ़ जाएगी दूध व उसके उत्पाद की मांग

बोर्ड का कहना है कि अभी दिल्ली-एनसीआर में हर दिन करीब 1.20 करोड़ लीटर दूध और इसके उत्पाद की खपत है। आबादी बढ़ने के साथ 2041 तक यह आंकड़ा करीब पांच गुना ज्यादा 6.56 करोड़ लीटर पहुंचने का अनुमान है। इसके लिए भंडारण, संग्रह, पैकिंग, ढुलाई और मार्केट तक उत्पादों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए बुनियादी सुविधा विकसित होगी। दूसरी तरफ हरी सब्जियां, पॉल्ट्री, मधुमक्खी पालन, मत्स्य पालन सहित दूसरी गतिविधियों की आपूर्ति बढ़ाने का भी बोर्ड का प्रस्ताव है।

दूध से होंगे और अधिक सेहतमंद

आबादी के मुताबिक दूध की आपूर्ति में भी प्रति व्यक्ति बढ़ोतरी का अनुमान है। फिलहाल रोजाना करीब 369 ग्राम प्रतिदिन, डेयरी उत्पादों की आपूर्ति की जा रही है। आबादी बढ़ने के साथ ही 2041 तक यह आंकड़ा बढ़कर प्रति 750 ग्राम प्रतिदिन तक पहुंच जाएगा। यानी, आबादी बढ़ने के साथ ही डेयरी उत्पादों की उपलब्धता भी बढ़ेगी। इससे पूरी आबादी और भी अधिक सेहतमंद होगी।

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स्रोत: Amar Ujala