गोभी के दाम में भारी गिरावट के चलते किसानों ने फसल को खेतों में ही जोतना शुरू कर दिया है। लुधियाना में इस समय थोक सब्जी मंडी में गोभी दो रुपये प्रति किलो बिक रही है। जबकि एक किलो गोभी उपज और उसे मंडी तक पहुंचाने में चार से पांच रुपये का खर्चा आता है। मुनासिब दाम न मिलने के चलते किसानों ने खड़ी फसल को जोतना शुरू कर दिया हैं।
वहीं कुछ लोग गोभी के सही दाम न मिलने का एक कारण किसान आंदोलन को भी बता रहे हैं। उनका कहा है कि दिल्ली की मंडियों में सप्लाई न होने वजह से उन्हें सही दाम नहीं मिल पा रहा है। समराला के वड़ैच फॉर्म के सुखजीत सिंह का कहना है कि गोभी की फसल पर ट्रैक्टर चलाना कोई नई बात नहीं है। इसके पीछे कई कारण है, जिन्हें समझना होगा। किसान बाजार में सब्जी के भाव देखकर उसकी बुवाई शुरू कर देता है। लॉकडाउन के समय गोभी 60 रुपये किलो थी। ऐसे में किसानों ने जमकर इसकी बुआई की।
खन्ना के मार्केट कमेटी के चेयरमैन गुरदीप सिंह का कहना है कि ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है कि गोभी की फसल पर ट्रैक्टर चलाना पड़ रहा हो। दो साल पहले भी यहीं हुआ था। गांव रसूलड़ा में ज्यादा गोभी की बुवाई हुई थी। इससे उन्हें फसल का वाजिब दाम नहीं मिला था। वहीं अब भी गोभी दो रुपये किलो बिक रही है। किसानों के पास ट्रैक्टर चलाने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।
गोभी की ज्यादा फसल ने घटाएं दाम
लुधियाना के सब्जी आढ़ती साजन कुमार का कहना है कि गर्मी के सीजन में गोभी के दाम हमेशा ज्यादा रहते है, क्योंकि पंजाब में गोभी कम होती है। गोभी हिमाचल से आती है लेकिन सर्दी के मौसम में गोभी की खेती ज्यादा होती है। इस बार भी गोभी की बंपर पैदावार हुई है, ऐसे में इसके दाम गिरना स्वाभाविक है। इस समय दो रुपये से ढ़ाई रुपये किलो गोभी थोक में बिक रही है।
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स्रोत: Amar Ujala