ग्रामीण इलाकों में भले ही खेतों में गन्ने की फसल लहराने पर धान कम दिखाई देने लगा हो, मगर अब भी बड़ी मात्रा में धान क्रेंद्रों तक पहुंचने के इंतजार में है। मंडियों में चल रही धीमी तौल के चलते बड़े किसानों ने धान की कटाई कर स्टॉक कर रखा है। इसेे क्रय केंद्रों पर भेजने के लिए किसानों की कतार कम होते ही निकाला जाएगा। ऐसे में धान खरीद एक बार फिर उछाल मारेगी, ऐसी संभावना जताई जा रही है। इसके अलावा बिचौलिये और माफिया भी अपने धान को सरकारी खरीद में शामिल करने की जुगत भिड़ाने की तैयारी में जुट गए हैं।
एक अक्तूबर से जनपद में धान की खरीद शुरू हुई थी। बीते साल खरीद में काफी धांधली का शोर मचा था। एक बड़े प्रशासनिक अफसर की भूमिका भी संदेहास्पद रही थी। मगर इस बार डीएम पुलकित खरे ने धान खरीद को प्राथमिकता पर लिया और पारदर्शिता से संपन्न कराने के लिए खुद कमान संभाली। शुरूआत से ही गड़बड़ी मिलने पर एफआईआर, कर्मचारियों के निलंबन से लेकर राइस मिलों पर आ रहे उठान की दिक्कत पर शिकंजा कसा।
शासन स्तर तक कार्रवाई की गूंज रही थी। मगर बीते कुछ दिनों से दोबारा धान खरीद में अफसरों की सुस्ती का शोर मचने लगा है। पंजीकृत किए जा चुके साढ़े 55 हजार किसानों में से 34 हजार किसान सरकारी क्रय केंद्रों पर 20.88 लाख क्विंटल धान बेच चुके हैं। मगर धीमी तौल और उठान की दिक्कत से किसानों को मंडियों में कई-कई दिन रुकना पड़ रहा है।
उधर, चावल के उतार की रफ्तार कम होने से किसानों का भुगतान फंस गया। अभी क्रय केंद्रों पर जमा धान के अलावा नए वाहनों की कतार काफी कम हो गई है। ग्रामीण इलाकों में भी धान खेतों से खत्म होता दिखाई देने लगा है। गन्ने की फसल अधिक दिखाई दे रही है। मगर धान खरीद से जुड़े अधिकारियों की मानें तो बड़े पैमाने पर धान बिक्री को अब भी बाकी है। छोटे किसान तो जल्दबाजी की वजह से धान क्रय केंद्र या फिर राइस मिलर, आढ़तियों के हाथों बेच चुके हैं। बड़े किसान अब भी खुलकर आगे नहीं आए हैं। उन्होंने धान को सुखाकर जमा कर रखा है। यह सब ऐसे किसान मानें जा रहे हैं, जिनके पास एक हजार क्विंटल या फिर इससे भी अधिक धान का स्टॉक है। ऐसे में आने वाले दिनों में धान खरीद का आंकड़ा तेजी से उछाल मारेगा, ऐसी संभावना जताई जा रही है। वहीं धान खरीद को भी अभी डेढ़ माह से अधिक का समय बाकी है। इसलिए वह कोई जल्दबाजी नहीं कर रहे।
सड़ने का डर न होने से बेफ्रिक हैं किसान
धान खरीद की शुरुआत में भले ही नमी की मात्रा अधिक बताकर किसानों का धान रिजेक्ट किया जाता रहा हो। मगर अब नमी की शिकायत लगभग खत्म हो चुकी है। मौसम ने भी धान किसानों का काफी साथ दिया है। उधर, कटाई के बाद स्टॉक किया गया धान सुखाया जा चुका है। इसलिए अब उसके सड़ने का डर किसानों को नहीं है। इसलिए बड़े किसान झंझटों से बचते हुए धान का स्टॉक किए हुए हैं।
कुछ दिन से दिखाई भी दे रहा है असर
अफसरों के मुताबिक, मंडियों में इसका असर अब दिखाई भी देने लगा है। अब तक जहां मंडियां सूनी पड़ती जा रही थीं, वहां एकाएक रौनक बढ़ गई है। पीलीभीत मंडी की बात करें तो बीते दो-तीन दिनों में धान की आवक अचानक बढ़ी है। पहले जहां सात-आठ नई ट्रॉलियां पहुंचती थीं, वहीं अब उनकी संख्या 15 के आसपास पहुंचने लगी है।
बिचौलियों-माफिया का भी असली खेल अब होगा शुरू
हर साल धान खरीद शुरुआती हंगामेबाजी के बाद धीमी पड़ती है। फिर कुछ दिनों तक मंडियों में इसी तरह से आवक कम होने लगती है। फिर अचानक अंतिम दिनों में स्टॉक किया धान पहुंचना शुरू हो जाता है और लक्ष्य पूर्ति होने लगती है। बड़े किसान को लेकर तो विभाग खुद धान स्टॉक करने की बात स्वीकार रहा है। मगर बिचौलियों और माफिया का खेल भी अंतिम दिनों में ही तेजी पकड़ता है। छोटे किसानों से कम दाम पर खरीदे गए धान को इसी तरह से संभाला जाता है। फिर सरकारी खरीद में शामिल करके मोटी कमाई की जाती है। इस बार प्रशासन सख्ती अपना रहा है। कुछ राइस मिलर और आढ़तियों के भी धान स्टॉक करने की चर्चा तेज है। ऐसे में आने वाले दिनों में ही बिचौलियों और माफिया के खेल को लेकर भी सजग रहना होगा, नहीं तो अब तक की तमाम कोशिशों को भी बट्टा लग सकता है।
यह बात सही है कि खेतों में धन कम होने लगा है। मगर अभी बड़े किसानों ने धान का स्टॉक कर रखा है। वह अभी बेचने के आगे नहीं आए हैं। खरीद 31 जनवरी तक चलनी है। धान खराब होने का डर नहीं है। ऐसे में आने वाले दिनों में खरीद में फिर उछाल आएगा। गड़बड़ी पर पहले से निगाह रखी जा रही है। पकड़े जाने पर कार्रवाई भी हुई है। - डॉ. अविनाश झा, डिप्टी आरएमओ
धान खरीद को पारदर्शिता से संपन्न कराया जा रहा है। किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य दिलाना सरकार की प्राथमिकता है। गड़बड़ी करने वालों पर लगातार कार्रवाई भी कराई जा रही है। किसान को किसी तरह की दिक्कत नहीं होने दी जाएगी। अधिकारियों की जिम्मेदारी तय है। -पुलकित खरे, डीएम
क्रय केंद्रों पर अभी तौल पटरी पर नहीं आ सकी है। कई दिनों तक मंडियों में धान पड़ा रहता है। ऐसे में व्यवस्था ठीक होने के बाद ही धान तौल को ले जाएंगे। करीब एक हजार धान क्विंटल हमारा रिजर्व है। - काला सिंह, गांव जगत
खेत में गेहूं की बुवाई करने के लिए धान कटवाकर कुछ बेच दिया था। उससे गेहूं की बुवाई कर दी गई। मगर 200 क्विंटल से अधिक धान अभी स्टॉक कर रखा है, ताकि क्रय केंद्रों पर मारामारी थमने के बाद उचित दाम पर बेचा जा सके। - मस्सा सिंह, गांव हिमकनपुर
क्रय केंद्रों पर अभी किसान धान के साथ कई दिनों से रुके हैं। उनकी भी तौल नहीं हो पा रही है। धान मंडी ले जाएंगे तो फंसकर रह जाएंगे। इस वजह से करीब 300 क्विंटल धान रोक रखा है। व्यवस्था सुधार होने पर क्रय केंद्र पर ले जाएंगे। - हरप्रताप सिंह, मानपुर गांव
खुद का पिता और भाई का मिलाकर करीब एक हजार क्विंटल धान अभी रोक रखा है। क्रय केंद्र पर भीड़ कम होने के बाद इसे बेचने को लेकर जाएंगे। अभी मारामारी के बीच न तो समय पर धान तुल पा रहा है, दिक्कत और झेलनी होगी। - परमजीत सिंह, मकरंदपुर चौगान गांव
मेरा करीब तीन सौ क्विंटल धान अभी स्टॉक है। क्रय केंद्रों पर चल रही दिक्कतों को देखते हुए अभी बेचने नहीं गए हैं। व्यवस्था में सुधार होने पर जाएंगे, ताकि कोई दिक्कत न आए। - सरदारा सिंह, गांव, कुंवरपुर तकिया
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स्रोत: Amar Ujala