ड्रोन बताएगा किस फसल को है कितने खाद पानी की जरूरत

January 09 2021

एग्रीकल्चर मॉनीटरिंग सिस्टम से ड्रोन किसानों को बताएगा कि किस फसल को कितने खाद और पानी की जरूरत है। फसल में रोग लगा है या फिर रोग लगने की आशंका है। आईआईटी रुड़की के वैज्ञानिक ने इस तकनीक पर शोध कराया है। उनका कहना है कि भविष्य में केंद्र सरकार की ओर से ड्रोन के जरिये खेती की मॉनिटरिंग कराने की योजना है। इसमें यह शोध कारगर होगा। 

केंद्र सरकार की ओर से करीब एक साल पहले प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) के तहत देश के 100 से अधिक जिलों में फसल की पैदावार के आकलन के लिए ड्रोन से निगरानी को मंजूरी दी गई थी। इसके लिए 15 हजार से अधिक ड्रोन की जरूरत पड़ेगी। इस दिशा में आईआईटी रुड़की के सिविल इंजीनियरिंग विभाग के वैज्ञानिक प्रो. कमल जैन ने ड्रोन के जरिये न केवल पैदावार की निगरानी बल्कि फसलों की उपज बढ़ाने के लिए तकनीकी सिस्टम विकसित किया है।

वैज्ञानिक प्रो. कमल जैन ने बताया कि छात्रों को पीएचडी के तहत इस प्रोजेक्ट पर काम कराया गया है। इसके तहत ड्रोन के कैमरे से ली गई फसलों की तस्वीरों की इमेज प्रोसेसिंग की जाती है। इमेज में कलर और पैटर्न के आधार पर विश्लेषण किया जाता है। इस विश्लेषण को डीप लर्निंग या मशीन लर्निंग कहा जाता है। 

इसके आधार इस बात की सटीक जानकारी मिलती है कि किस क्षेत्र में फसल में क्या रोग है। फसल को कितने खाद-पानी या फिर कीटनाशक की जरूरत है। जानकारी प्राप्त होने के बाद इसे किसानों तक मैसेज के जरिये पहुंचाया जा सकता है। इसके अलावा फसलों की उत्पादकता की फोरकास्टिंग और चेतावनी भी जारी की जा सकती है।  

टिड्डी दल के नियंत्रण में भी कारगर 

देश के कई राज्यों में टिड्डी दल का फसलों पर हमला भी एक गंभीर समस्या है। ड्रोन एग्रीकल्चर मॉनीटरिंग सिस्टम इस क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। हालांकि, इससे टिड्डी दल के हमले का पूर्वानुमान तो संभव नहीं है। पर हमले के बाद किस फसल पर कितना प्रकोप है और उससे निपटने के लिए क्या उपाय हो सकते हैं, इसकी जानकारी दिया जाना संभव होगा। 

11 लाख का मल्टी स्पेक्ट्रल कैमरा 

प्रो. कमल जैन ने बताया कि ड्रोन एग्रीकल्चर मॉनीटरिंग के लिए मल्टी स्पेक्ट्रल कैमरा आधारित ड्रोन का इस्तेमाल किया गया है। इस कैमरे की कीमत करीब 11 लाख रुपये है। इसमें पांच कैमरे होते हैं, जो अलग-अलग तरह की तस्वीरें कैप्चर करते हैं।

 

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स्रोत: Amar Ujala