गत दिनों भा.कृ .अ.प.- भारतीय कृषि अनुसन्धान संस्थान,क्षेत्रीय केंद्र इंदौर, कृषि विज्ञान केंद्र ,देवास के कृषि वैज्ञानिकों और सोलिडरिडेड के सदस्यों ने देवास ज़िले के ग्राम डकाच्या और पोलाय जागीर में गेहूं की 6 नई प्रजातियों के प्रदर्शन प्लाटों का अवलोकन किया। फसल बहुत अच्छी स्थिति में है l कृषि वैज्ञानिकों को 25 -50 % अधिक उत्पादन होने की उम्मीद है।
भारतीय कृषि अनुसन्धान संस्थान,क्षेत्रीय केंद्र इंदौर के श्री ए.के.सिंह, वैज्ञानिक (कृषि प्रसार) ने कृषक जगत को बताया कि गेहूं की 6 नई प्रजातियों एच.आई .1605 ,एक.आई.1633 ,एच.आई.1634 (रोटी वाली किस्म ) तथा मालवी गेहूं की एच.आई .8802 ,एचआई .8805 , एच.आई .8737 और एच.आई .8759 के 11 प्रदर्शन प्लाटों का अवलोकन किया गया। जिसमें कृषि विज्ञान केंद्र ,देवास के वैज्ञानिक डॉ.के.सी .शर्मा ,वरिष्ठ वैज्ञानिक श्री प्रकाश टी.एल.(पौध रोपण ),संस्थान के तकनीकी अधिकारी डॉ .उपेंद्र चौधरी और सोलिडरिडेड के सदस्य शामिल थे। श्री सिंह ने बताया कि गेहूं की इन 6 नई प्रजातियों की बुवाई समक्ष में की गई तथा बाद में संबंधित किसानों के साथ यथा समय बैठक की गई और प्रशिक्षण दिया गया। इन फसलों की निगरानी की जा रही है। गेहूं की इन प्रजातियों को नई तकनीक एफआइआरबी (फरो इरिगेटेड रिज्ड बेड ) से बोया गया है ,जिसमें तीन लाइन के बाद एक नाली रखी गई है। इससे आधे से भी कम पानी लगता है। फसल बहुत अच्छी स्थिति में है। बालियां आना शुरू हो गई है। उम्मीद है कि 25 -50 % अधिक उपज प्राप्त होगी। वैज्ञानिकों की मौजूदगी में कटाई की जाएगी ,उसके बाद उपज के आंकड़े जारी किए जाएंगे। इन दोनों गांवों में गेहूं के प्रदर्शन प्लाट के बोर्ड लगे हैं। जो भी किसान इन फसलों को देखना चाहें, अभी देख सकते हैं। सम्भवतः डेढ़ माह बाद कटाई शुरू हो जाएगी।
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स्रोत: Krishak Jagat