कृषि विधेयकों से अन्नादाताओं को मिलेगी आजादी

October 02 2020

कृषि सुधारों के रूप में केंद्र सरकार द्वारा पारित तीन कृषि विधेयकों के दूरगामी परिणामों को लेकर जिले के किसान आशान्वित नजनर आ रहे हैं। प्रगतिशील कृषकों का मानना है कि इससे अन्नादाताओं को न केवल तमाम तरह की सुविधाएं मिलेगी, बल्कि उन्हें आजादी भी मिलेगी। किसान अपनी उपज अपने हिसाब से बेच सकेंगे।

पिछले महीने लोकसभा व राज्यसभा में कृषि सुधारों से जुड़े तीन महत्वपूर्ण विधेयकों को पारित किया गया था। इन पर राष्ट्रपति ने भी स्वीकृति दे दी है। उसके बाद से किसानों को नई उम्मीद नजर आने लगी है। उन्नात किसानों का कहना है कि नए कृषि कानूनों से बड़े ही नहीं बल्कि छोटे व मंझोले किसानों को भी फायदा होगा। उपज बेचने की आजादी मिलने से बिचौलियों से छूटकारा मिलेगा। हालांकि कुछ राजनीतिक दल व किसान संगठन इन विधेयकों का विरोध जरूर कर रहे हैं।

किसानों को होगा सीधा मुनाफा

कृषि विधेयक को सुकुलदैहान के किसान तुलसी राम खुटियारे ने अन्नादाताओं की आजादी वाला बताया है। उन्होंने कहा कि विधेयक में मंडी का प्रावधान रखा है, जिसे किसान खुद संचालित करेंगे। यह निर्णय किसानों के लिए काफी अहम है। विधेयकों के माध्यम से केंद्र सरकार किसानों के लिए जो फैसला कर रही है, उसमें किसानों को सीधा फायदा ही होगा। विधेयकों को समझना जरूरी है। बेवजह विरोध ठीक नहीं है।

बिचौलियों से मिलेगा छुटकारा

केंद्र सरकार द्वारा लागू किए कृषि विधेयक को राजनांदगांव ब्लॉक के बम्हनी निवासी किसान हरिचंद्र कंवर ने सही फैसला बताया है। हरिचंद्र ने कहा कि किसानों को विधेयक का बड़ा फायदा मिलेगा। किसानों की अलग मंडी होगी, जिससे बिचौलियों से छूटकारा भी मिलेगा। किसान अपनी उपज अपने हिसाब से बेच सकेंगे। इसके अलावा भी कई प्रावधान विधेयक में है। सरकार किसानों का हित समझाकर विधेयक लायी है।

निश्चिंतता से खेती की गारंटी देंने वाला

ग्राम रूंवातला के युवा किसान ओंकार वर्मा का कहना है कि कृषि विधेयक किसानों की आय को दोगुनी करने के साथ उनके स्वाभिमान को बढ़ाने वाला भी है। उनकी अर्थव्यवस्था में वृद्धि करने वाला और निश्चिंतता से खेती किसानी करने का गारंटी देंने वाला विधेयक है। इससे आने वाले समय मे किसांनो की आर्थिक उन्नाति के मार्ग का पथ प्रशस्त हो गया है। नए कानून के बाद देश के किसी भी हिस्से पर किसान अपनी उपज का व्यापार कर सकेंगे। इसके लिए व्यवस्थाएं की जाएंगी। मंडियों के अलावा व्यापार क्षेत्र में फार्मगेट, वेयर हाउस, कोल्डस्टोरेज, प्रोसेसिंग यूनिटों पर भी किसानों को बिजनेस करने की आजादी होगी। वर्मा के अनुसार यह इस विधेयक के द्वारा कृषि करार के माध्यम से बुवाई से पूर्व ही किसान को उपज के दाम निर्धारित करने का आश्वासन देता है. किसान को अनुबंध में पूर्ण स्वतंत्रता रहेगी, वह अपनी इच्छा के अनुरूप दाम तय कर उपज बेचेगा। इससे किसान फसल के खराब होने की आशंका पर अपनी पूर्व में तय किये गए कीमत को प्राप्त कर सकेगा।

विधेयकों के विरोध में कल सड़क पर उतरेंगे किसान

केंद्र सरकार द्वारा पारित कृषि विधेयकों के विरोध में तीन अक्टूबर को चिचोला में किसान चक्काजाम करेंगे। जिला किसान संघ के बैनर तले चक्काजाम से पहले छुरिया मोड़ के पास मैदान में प्रतिरोध सभा का आयोजन किया जाएगा। संघ के संयोजक सुदेश टीकम ने बताया कि मोदी सरकार द्वारा एक राष्ट्र, एक बाजार की नीति के तहत कृषि विधेयक लाया गया है। जिसका विरोध देशभर के किसान कर रहे हैं। क्योंकि इससे समर्थन मूल्य पर खरीदी सार्वजनिक वितरण प्रणाली व्यवस्था के साथ-साथ खाद्य सुरक्षा विपरीत रूप से प्रभावित होगी। जमाखोरी को कानूनी मान्यता मिलने से महंगाई भी बढ़ेगी। सरकार किसानों से समर्थन मूल्य पर खरीदी एवं लोगों को राशन उपलब्ध कराने की जवाबदारी से पल्ला झाड़ना चाहती है।

 

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स्रोत: Nai Dunia