रोप के देशों को भारतीय बासमती का स्वाद भाने लगा है। पिछले तीन साल से इन देशों में बासमती की मांग अधिक हुई है। पिछले वर्ष नवंबर तक 1500 करोड़ रुपये बासमती चावल यहां निर्यात किया जा चुका है। निर्यात बढ़ने से किसान भी लाभान्वित हो रहे हैं।
मोदीपुरम स्थित बासमती निर्यात विकास प्रतिष्ठान (बीईडीएफ) के आंकड़ों के अनुसार पिछले तीन साल का बासमती निर्यात का रिकॉर्ड इस बार अप्रैल से नवंबर तक आठ महीने में ही टूट गया है। कोराना काल में भी भारतीय बासमती की धमक कम नहीं हुई।
पिछले कुछ सालों से निर्यात किए जाने वाले बासमती चावल में कीटनाशक की समस्याएं आ रही थीं। किसानों को जागरूक कर इसे दूर कर लिया गया है। किसानों द्वारा अब इसका उत्पादन विश्वस्तरीय मानकों के अनुरूप किया जा रहा है।
शाकाहार पहली पंसद
बासमती निर्यात विकास प्रतिष्ठान के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. रितेश शर्मा के अनुसार भारतीय बासमती ब्रिटेन, यूएस समेत अन्य यूरोपीय देशों में जाता है। कोराना के चलते शाकाहार सबसे ज्यादा पंसद किया जा रहा है। इसलिए मांग बढ़ी है। अगले चार महीने में निर्यात में 30 से 35 प्रतिशत बढ़ोतरी होगी।
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स्रोत: Amar Ujala