दो लाख किसानों की परेशानी, सिंचाई को बिजली न पानी

December 24 2020

23 दिसंबर को किसान दिवस है। किसान नेता चौधरी चरण सिंह के जन्मदिवस को हर साल किसान दिवस के रुप में मनाते हुए जनपद में किसानों के सम्मान का आयोजन होता रहा है लेकिन किसानों की समस्याएं जस की तस हैं।

किसानों की सबसे बड़ी समस्या सिंचाई के पर्याप्त साधन न होना है। जनपद में तीन लाख हेक्टेअर से अधिक जमीन पर दो लाख से अधिक किसान खेती करते हैं। पचास प्रतिशत किसानों को भी सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी नहीं है। गांवों के लिए आज भी बिजली का रोस्टर दस से 12 घंटे का है जबकि औसत बिजली छह घंटे ही मिल पाती है।

वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार जिले में किसानों की संख्या एक लाख 78 हजार है। कृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार वर्तमान में किसानों की संख्या करीब सवा दो लाख है। जिले के किसानों के सामने कई समस्याएं हैं। सबसे बड़ी सिंचाई के संसाधनों की है। नहर और बंबा में जरूरत के समय पानी नहीं आता है। इटावा ब्रांच से जुडे़ रजबहा और बंबा से जुडे़ गांव सिंचाई के पानी को तरस रहे हैं। 

मल्टी कोल्ड स्टोरेज नहीं, फल-सब्जी कहां रखें किसान 

आलू के भंडारण के लिए तो शीतगृह हैं लेकिन सब्जियों के भंडारण के लिए शीतगृह नहीं हैं। जनपद में आलू के साथ-साथ नारखी ब्लाक में मिर्च का बड़ा उत्पादन होता है। मिर्च के रेटों में उतार चढ़ाव के बीच मिर्च उत्पादक  किसान कुछ दिनों के लिए मिर्च को कोल्ड स्टोरेज में रखना चाहें तो रख नहीं पाते। उन्हें मजबूरी में लागत से कम मूल्य पर मिर्च बेचनी पड़ती है। मौसमी फल और सब्जियां का भी स्टोर नहीं कर पाते हैं। 

आलू के लिए नहीं बन सका सरकारी उपक्रम 

जनपद में आलू का उत्पादन बडे़ पैमाने पर होता है। 60 हजार से अधिक हेक्टेअर क्षेत्र में आलू का उत्पादन है। आलू किसानों को इस बार तो रेट अच्छा मिल गया लेकिन कई बार किसानों को आलू फेंकना पड़ा है। आलू का बड़ा उत्पादन क्षेत्र होने के कारण यह चुनावी मुद्दा भी बनता रहा है।

किसान नेता राजकुमार सिंह कहते हैं कि यूपी के मुख्यमंत्री योगी कई बार आलू किसानों के लिए आगरा और फिरोजाबाद के बीच आलू आधारित सरकारी प्रोसेसिंग प्लांट लगाने की बात कह चुके हैं। 2014 में पीएम नरेंद्र मोदी ने भी चुनावी सभा में इस मुद्दे को उठाया था लेकिन इस दिशा में धरातल पर अभी तक कुछ नहीं हुआ है।

खारा पानी किसानों के लिए मुसीबत 

जनपद के किसानों के लिए दूसरे राज्य और जिलों की मंडी में फसल पहुंचाने के लिए ट्रांसपोर्ट की उचित व्यवस्था नहीं है। कई क्षेत्रों में खारा पानी होने के कारण सिंचाई के लिए परेशानी है। गांवों को बिजली 24 घंटे दी जानी चाहिए। मिर्च उत्पादक किसानों के लिए विशेष उपक्रम लगाया जाए।   राजेश प्रताप सिंह - अध्यक्ष प्रधान संघ 

धान-मक्का क्रयकेंद्रों पर बिचौलिए हाबी

दस घंटे के रोस्टर के बाद भी गांवों में बिजली पांच से छह घंटे ही मिल पाती है। नहर और बंबों में पानी नहीं। सरकारी नलकूप खराब पडे़ हैं। किसान सिंचाई को लेकर परेशान है। धान और मक्का क्रय केंद्रों पर बिचौलिए हाबी हैं। कमीशनखोरी पर किसानों की धान और मक्का ली जा रही है। - विजेंद्र सिंह टाइगर-राष्ट्रीय उपाध्यक्ष किसान यूनियन (किसान) 

जिले में फसल की स्थिति

फसलों के उत्पादन का क्षेत्र - 03 लाख 10 हजार 548 हेक्टेअर 

किसानों की संख्या - 02 लाख 30 हजार 

किसान सम्मान निधि पाने वाले किसान - 01 लाख 80 हजार 

चालू हालत में सरकारी नलकूपों की संख्या - 392 

उत्पादित होने वाली फसलें: गेहूं, धान, बाजरा, मक्का, जौ, आलू, मिर्च

 

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स्रोत: Amar Ujala