कृषि कानून के खिलाफ दिल्ली में किसान और कई संगठन आंदोलनरत हैं। लेकिन आम किसान कानून और आंदोलन से इत्तेफाक नहीं रख रहा है। आगरा के बाह, फतेहाबाद, किरावली, बरहन, एत्मादपुर, फतेहपुर सीकरी, शसमाबाद समेत जिले के अन्य हिस्सों में ज्यादातर किसान अपनी खेती में मशगूल हैं।
उनकी बातें सुनकर साफ है कि वे चाहते हैं कि सरकार उनकी बिजली, पानी जैसी समस्या हल करे। समय से सिंचाई का पानी मिले। खाद-बीज उपलब्ध हो। इसके अलावा सबसे बड़ी समस्या आवारा पशुओं से फसल बचाने की है। इससे भी वे निजात पाना चाहते हैं। बातचीत में भी कानून, आंदोलन के बजाय अपनी बुनियादी समस्याओं का हल ही चाहते हैं।
भाड़ में गऔ कानून, गइयन कौ कछु होइ इंतजाम
भाड़ में गऔ किसान कानून, हम तौ गइयन की रखवाई ते परेशान हैं, गेहूं चरि गईं। सरसों, आलू के खेत खूंद दये, गइयन कौ कछु इंतजाम होइ तौ ही किसान बचेगौ। जा साल बाजरा ऊ मट्टी के मोल (1200 रुपया प्रति क्विंटल) बिकौ है। सरकारी खरीद कौ दाम (1800 रुपया) बजार में ना मिलौ। बाह के चौरंगाहार गांव के मंदिर पर चौपाल लगाकर बैठे किसानों के बीच कृषि कानून और किसान आंदोलन के मुद्दे पर यही बातें हो रही थीं।
किसान उमाशंकर भारद्वाज , मुरारीलाल, राजीव पचौरी, राज कुमार, हरिओम, राजेंद्र कुमार, राम कुमार आदि सभी की जुबान पर खेतों में आवारा पशुओं से फसलों की बर्बादी का ही दर्द सुनाई दिया। उनका साफ कहना है कि किसान आंदोलन और कृषि किसान कानून सरकार जाने। उन्हें तो सरकार इन आवारा पशुओं से मुक्ति दिलाए।
सरकार समय से बिजली-पानी तो दिलाए
किरावली के कुकथला गांव में बैठ किसानों में खेती पर ही चर्चा चल रही थी। बिजली कटौती और नहरों में पानी नहीं आने से परेशान किसानों ने कहा कि कानून को लेकर हंगामा मचा है। सरकार कुछ सुनने को तैयार नहीं है। सरकार पहले बिजली-पानी तो समय से उपलब्ध कराए।
किसान रामखिलाड़ी कुशवाह ने कहा कि सरकार ने धान का समर्थन मूल्य 1857 रुपये घोषित किया है। पर, धान 1400 रुपये में ही बिक रहा है। गांव नागर निवासी श्यामवीर सिंह ने कहा कि सिंचाई के लिए नहरों मे पानी नहीं आया। इस ओर सरकार का ध्यान नहीं है। किसान गजेंद्र सिंह इंदौलिया ने साफ कहा कि इस कानून से कुछ नहीं होने वाला। पहले सरकर किसानों को समय से सिंचाई का पानी, बिजली उपलब्ध कराए।
राजनीति से हमें ना मतलब, हमें तो खेती करिवे ते काम
किसान बिल को लेकर एक और जहां पूरे देश में बवाल मचा हुआ है ।वहीं फतेहाबाद क्षेत्र में किसान अपनी खेती में मशगूल है। किसानों का कहना है कि उन्हें कानून के बारे में कोई जानकारी नहीं है। उन्हें अपनी खेती से मतलब है। ग्राम गढ़ी सराय निवासी किसान चंदन सिंह बोले कि राजनीति से हमें ना मतलब हमें तो अपनी खेती ते काम है।
ग्राम कृपाल पुरा के किसान सुरेश चंद्र बोले कि आलू की पैदावार में अच्छा खसा मुनाफा भयों हतो अब दुबारा फिर हमने आलू करो है ,हमें किसान बिल सो कोऊ मतलब नहीं। इस दौरान डालचंद, भगवान सिंह ,सुरेश चंद, रमेश, महेंद्र आदि भी कृषि कानून के बारे में कुछ नहीं बता सके।
समर्थन मूल्य के बगैर कोई फायदा नहीं
एत्मादपुर तहसील क्षेत्र के नयाबास गांव में शुक्रवार को गुनगुनी धूप के बीच आलू के खेत के किनारे बैठे किसान बातें कर रहे थे। उनके बीच किसान आंदोलन पर ही बातें हो रही थी। किसानों का कहना है कि आंदोलन के लिए सरकार ने ही मजबूर कर रखा है। ऐसे कानून बना देने से कोई फायदा नहीं है। किसान को समर्थन मूल्य पर सबसे अधिक ध्यान देना होगा, तभी किसानों की तरक्की संभव है।
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स्रोत: Amar Ujala