किसानों को दाम मिला कम, उपभोक्ताओं तक महंगा पहुंचा चावल

January 07 2021

इस बार बासमती धान का रेट भले ही किसानों को गत वर्ष से कम मिला हो, लेकिन उपभोक्ताओं को उसका फायदा नहीं मिल रहा है। बासमती की विभिन्न प्रजातियों के भाव इस बार 500 से 800 रुपये प्रति क्विंटल तक कम रहा,  लेकिन इसकी तुलना में चावल के भाव में कमी  नहीं आई है। जबकि बासमती की प्रजाति पूसा नंबर-1 (तूडल) के चावल का रेट गत वर्ष से भी करीब 1200 रुपये प्रति क्विंटल अधिक चल रहा है। इसकी वजह इस चावल का निर्यात मानी जा रही है। 

बासमती धान का रेट इस बार किसान के लिए लाभकारी साबित नहीं हुआ। गत वर्ष की तुलना में इस बार बासमती की विभिन्न प्रजातियों का मंडी में भाव 500 से 800 रुपये प्रति क्विंटल कम रहा, लेकिन कम भाव का जितना फायदा उपभोक्ताओं को मिलना चाहिए था, वह नहीं मिल रहा।

बासमती की प्रजाति 1509 के धान का रेट  जहां 500 से 600 रुपये कम रहा है, वहीं चावल का थोक भाव करीब 200 रुपये ही कम चल रहा है। इसी प्रकार अन्य प्रजातियों के चावल के भाव की स्थिति है। जबकि बासमती की प्रजाति पूसा नंबर-1 (तूडल) का भाव इस बार औसतन 200 से 300 रुपये तक कम रहा, लेकिन गत वर्ष करीब 5000 रुपये बिकने वाले इसके चावल का रेट इस समय 6200 रुपये प्रति क्विंटल चल रहा है। 

मंडी सचिव अशोक गुप्ता ने बताया कि पूसा नंबर-1 के बढे़ भाव का कारण इस प्रजाति के चावल का खाड़ी देशों में निर्यात होना है। साथ ही इस बार इसका रकबा भी कम था,  जबकि अन्य प्रजातियों के रेट तुलनात्मक रूप से सही चल रहे हैं। 

पैकिंग के बाद चावल के दाम की स्थिति 

बाजार में कई ब्रांड के चावल की आवक है। हर ब्रांड का अपना रेट है। उसमें एक ब्रांड 6800 से 7000 रुपये प्रति क्विंटल है तो  प्रजाति 1401 का भाव 6200 रुपये प्रति क्विंटल तक है। वहीं, बासमती चावल में 5800 से 6800 रुपये प्रति क्विंटल तक थोक दाम है। इससे जाहिर है कि किसान के खेत से निकलने वाला चावल उपभोक्ताओं की थाली तक पहुंचने में कितना महंगा हो जाता है।

 

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स्रोत: Amar Ujala