छोटे किसानों को पर्ची के पड़े लाले, गन्ना बेचने की दिक्कत, नहीं हो पा रही गेहूं की बुआई

December 14 2020

चीनी मिलों में पेराई सत्र शुरू हुए करीब डेढ़ माह बीतने को है, लेकिन किसानों को गन्ना तौल कराने के लिए एसएमएस से पर्ची नहीं मिल पा रही हैं। ज्यादातर लघु एवं सीमांत किसानों को एक-एक पर्ची ही मिल पाई है, तो कई किसान ऐसे भी हैं जिन्हें अब तक एक भी पर्ची नहीं मिल पाई है। इससे गन्ना खेतों में ही खड़ा है। गेहूं की बुआई का समय निकलता जा रहा है। ऐसे में परेशान किसान कोल्हु/क्रेशर पर औने-पौने दामों में गन्ना बेचने को विवश हैं। वहीं गन्ना समितियों द्वारा बड़े किसानों की पर्चियां दो-तीन दिन के अंतराल पर जारी की जा रहीं हैं।

जनपद की नौ चीनी मिलें गन्ना पेराई कर रही हैं, जिनमें करीब 4.50 लाख किसान गन्ना आपूर्ति करते हैं। जनपद में करीब तीन लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में गन्ना बुआई की गई थी। नवंबर 2020 के पहले सप्ताह से चीनी मिलों में पेराई सत्र प्रारंभ हो गया था। किसानों को गन्ना आपूर्ति करने के लिए चीनी मिल से प्राप्त होने वाले इंडेंट के आधार पर गन्ना समितियां एसएमएस पर्ची जारी करती हैं। करीब दो साल से किसानों को पर्ची जारी करने का काम गन्ना समितियां कर रही हैं, जबकि इससे पहले चीनी मिलों द्वारा सीधे किसानों को पर्चियां जारी की जा रहीं थीं। 

गन्ना समितियों के पास पर्ची जारी करने का काम आने के बाद किसानों को समय से पर्ची मिलने की उम्मीद थी, लेकिन ऐसा नहीं हो पा रहा है। गन्ना सर्वे के घोषणा पत्र जमा करने के बावजूद कई किसानों के सट्टे लॉक कर दिए गए, जबकि किसानों ने घोषणा पत्र जमा किया था। तब किसानों को समितियों के काफी चक्कर काटने पड़े, जिसके बाद अब पर्ची न मिलने से किसान परेशान हैं। अब पेड़ी गन्ना खेत में सूखने लगा है और खेत खाली न होने से गेहूं की बुआई भी नहीं हो पा रही है। लघु एवं सीमांत किसानों के लिए यह हालात किसी परेशानी से कम नहीं हैं। गेहूं बुआई का पीक समय चल रहा है, क्योंकि कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक गेहूं बुआई के लिए सबसे अच्छा समय 15 नवंबर से 15 दिसंबर तक रहता है।

15 दिसंबर के बाद तापमान गिरने से गेहूं बीज का बढ़िया तरीके से जमाव नहीं होता है, जिससे उत्पादन भी घटने की संभावना ज्यादा रहती है। एक तो जमीन कम होने से सीमित आय रहती है, तो दूसरे समय पर फसल न बेच पाने से आय नहीं बढ़ पाती। देर से गेहूं बुआई करने पर भी फायदा कम नुकसान ज्यादा वाली स्थिति किसानों के सामने रहती है। मैगलगंज क्षेत्र के महुआ ढाब निवासी किसान ब्रजराज सिंह के पास दो एकड़ पेड़ी गन्ना खड़ा है, लेकिन अब तक गन्ना समिति से एक पर्ची मिल पाई है। महिला किसान बिटोली देवी ने बताया चार बीघा पेड़ी गन्ना खड़ा है और अभी एक भी पर्ची नहीं मिली है।

चार बीघा खेत में पेड़ी गन्ना खड़ा है। मिल चालू हुए डेढ़ माह हो रहा है, लेकिन अब तक एक भी पर्ची नहीं मिली है। कोल्हु पर गन्ने के रेट काफी कम हैं। खेत खाली न होने से गेहूं की बुआई भी नहीं पा रहा हूं। -श्रीपाल, गन्ना किसान

एक एकड़ खेत में पेड़ी गन्ना खड़ा है, जिसमें गेहूं की बुआई करनी है। मैगलगंज गन्ना समिति से पर्ची नहीं मिल पा रही है। अब तक एक पर्ची आई है, जबकि बड़े किसानों को दूसरे-तीसरे दिन पर्ची मिल जा रही है। -रणधीर सिंह, गन्ना किसान

किसानों की सप्लाई के आधार पर सट्टे में पर्चियों का निर्धारण किया जाता है। छोटे किसानों को समय से पर्ची उपलब्ध कराना समिति की प्राथमिकता है। किसानों को एक भी पर्ची न मिलने का मामला संज्ञान में नहीं है। शिकायत मिली तो जांच कराई जाएगी। -ब्रजेश कुमार पटेल, जिला गन्ना अधिकारी

 

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स्रोत: Amar Ujala