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सुखजिंदर सिंह

(बकरी पालन)

शौंक को पेशे में बदलकर कामयाब होना सीखें इस इंसान से

हर इंसान की जिंदगी में एक ही कोशिश रहती है कि वह ऐसा काम करे जिससे उसकी पहचान उसके नाम की जगह उसके काम से हो, क्योंकि एक नाम जैसे तो बहुत होते हैं। ऐसी उदाहरण हर कोई दुनिया के सामने पेश करना चाहता है।

इस स्टोरी के द्वारा जिनकी बात करने जा रहे हैं वह पहले डेयरी फार्मिंग के कार्य को संभालते थे और उसमें मुनाफा भी हो रहा था लेकिन उनका शौंक एक दिन पेशा बन जाएगा ऐसा उन्होंने नहीं सोचा था और पंजाबी अपने शौंक पूरे करने के लिए ही जाने जाते हैं और उसे पूरा करके ही सांस लेते हैं। ऐसे ही सुखजिंदर सिंह जो मुक्तसर पंजाब के रहने वाले है, जिन्हें शौंक था कि क्यों ना घर में 2-3 बकरियों को रखकर देखभाल की जाए, इसलिए उन्होंने बरबरी जो देखने में बहुत सुंदर नस्ल है उसका एक बकरा और चार बकरियां ले आए ,जिसमें उनके घरवालों ने भी पूरा साथ दिया और वह उनकी देखभाल में लग गए और साथ-साथ अपना डेयरी फार्मिंग का काम भी संभालते रहे।

इस दौरान ही जब वह बकरियों की देखभाल कर रहे तो बकरियों के ब्याने के बाद जब उनके बच्चे थोड़े बड़े हुऐ तो लोग उन्हें देखने के लिए आते थे वह उनसे बच्चे लेकर जाने लगे क्योंकि बरबरी नस्ल की बकरी देखने में बहुत सुंदर और प्यारी होती है जिसे देखकर ही खरीदने का मन हो जाता है, जिससे बकरियों के बच्चे बिकने लगे लेकिन अभी भी सुखजिंदर जी बकरियों को शौंक के लिए ही रख रहे थे और उन्होंने बकरी पालन के काम के बारे में भी नहीं सोचा था।

साल 2017 के फरवरी में शुरू किए काम को धीरे-धीरे बढ़ाना शुरू किया और फार्म में बकरियों की संख्या को बढ़ाया और उनकी देखभाल करते रहे। इस दौरान उन्होंने विचार किया कि डेयरी फार्म के काम में मुनाफा नहीं हो रहा क्योंकि जितनी वह बकरियों की देखभाल कर रहे थे उससे कहीं ज्यादा डेयरी फार्म की तरफ ध्यान देते थे और इतनी मेहनत के बाद भी दूध का सही रेट नहीं मिल रहा था।

फिर उन्होंने थोड़ा समय अपने परिवार के साथ विचार करके डेयरी फार्मिंग के काम को कम करके बकरी पालन के फार्म को बढ़ाने के बारे में सोचा और 2-2, 4-4 करके उन्हें बढ़ाने लगे जिससे उनका बकरी पालन का काम सही तरीके से चलने लगा जिसमें मेहनत करते उन्हें 4 साल हो गए थे। इसके बाद उन्होंने सोचा कि डेयरी फार्म को बंद करके सिर्फ बकरी पालन के फार्म को बढ़ाएं और उसमें ही पूरे ध्यान से काम करें।

बकरी पालन को बढ़ाने से पहले वह साल 2019 में पंजाब खेतीबाड़ी यूनिवर्सिटी से बकरी पालन की ट्रेनिंग लेने चले गए ताकि बकरी पालन में कभी भी समस्या आए तो वह खुद उसका सामना कर सके, उसमें बिमारियों, खुराक और देखभाल की जानकारी दी जाती है।

साल 2019 में ट्रेनिंग लेने के बाद उन्होंने बहुत सारे फार्मों का दौरा किया और इस काम की जानकारी लेकर बरबरी नस्ल को छोड़कर बीटल नस्ल की बकरियां लेकर आए जोकि लगभग 20 के आसपास थी। वह उनकी पूरी देखभाल करने लगे और फिर उन्होंने ब्रीडिंग की तरफ भी ध्यान देना शुरू कर दिया।

जैसे कि लोग पहले से ही उनके पास बकरियां लेने आते थे अब उससे भी ज्यादा लोग बकरियां लेकर जाने लगे जिसमें अच्छा मुनाफा होने लगा और मार्केटिंग भी होने लगी, उन्हें मार्केटिंग में ज्यादा समस्या नहीं आयी क्योंकि वह पहले भी डेयरी फार्मिंग का काम करते थे और लोग उनके पास आते जाते रहते थे फिर जब बकरी पालन का काम किया तब लोगों को जानकारी हो गई और उनसे बकरियां के बच्चे लेकर जाने लगे।

इसके साथ साथ वह मंडी में भी बकरियां लेकर जाते थे और वहां भी मार्केटिंग करते इस तरह वह साल 2019 के आखिर में इस काम में पूरी तरह कामयाब हो गए और अपने शौंक को पेशे में बदलकर लोगों को भी उदाहरण पेश की है क्योंकि यदि आप शौंक ही आपको पेशा बन जाए तो कभी भी असफलता देखने की ज़रूरत नहीं पड़ती।

आज वह अपने फार्म में मार्केटिंग करके अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं।

भविष्य की योजना

बकरी फार्म को बढ़ाकर मार्केटिंग का प्रसार बड़े स्तर पर करना चाहते हैं जिससे पंजाब के बकरी पालकों को बकरियां पंजाब के बाहर से लाने ज़रूरत ना पड़े।

संदेश

यदि कोई नौजवान बकरी पालन का काम करना चाहता है तो सबसे पहले बकरी पालन की ट्रेनिंग और इस काम की सारी जानकारी प्राप्त करे ताकि यदि बाद में कोई समस्या आती है तो उसका खुद समाधान किया जा सके।