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विनोद कुमार

(मोतियों की खेती)

जानें इस नौजवान के बारे में जिसने मैकेनिकल इंजीनियर की नौकरी छोड़कर मोती उत्पादन शुरू किया, और अब है वार्षिक कमाई 5 लाख से भी ज्यादा

विनोद कुमार जो पेशे से मैकेनिकल इंजीनियर थे, वे अक्सर अपनी व्यस्त व्यवसायी ज़िंदगी से समय निकालकर खेती में अपनी दिलचस्पी तलाशने के लिए नई आधुनिक कृषि तकनीकों की खोज करते थे। एक दिन इंटरेनेट पर विनोद कुमार को मोती उत्पादन के बारे में पता चला और वे इसकी तरफ आकर्षित हुए और उन्होंने इसकी गहराई से जानकारी प्राप्त की जिससे उन्हें पता चला कि मोती उत्पादन कम पानी और कम क्षेत्र में किया जा सकता है।

जब उन्हें यह पता चला कि मोती उत्पादन की ट्रेनिंग देने वाला एकमात्र इंस्टीट्यूट सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ फ्रेश वॉटर एक्वाकल्चर भुवनेश्वर में स्थित है तो विनोद कुमार ने बिना समय गंवाए, अपने दिल की बात सुनी और अपनी नौकरी छोड़कर मई 2016 में एक सप्ताह की ट्रनिंग के लिए भुवनेश्वर चले गए।

उन्होंने मोती उत्पादन 20 x 10 फुट क्षेत्र में 1000 सीप से शुरू की थी और आज उन्होंने अपना मोती उत्पादन का व्यवसाय का विस्तार कर दिया है जिसमें वे 2000 सीप से, 5 लाख से भी ज्यादा का मुनाफा कमा रहे हैं। खैर, यह विनोद कुमार का कृषि की तरफ दृढ़ संकल्प और जुनून था जिसने उन्होंने सफलता का यह रास्ता दिखाया।

विनोद कुमार ने हमसे मोती उत्पादन शुरू करने वाले नए लोगों के लिए मोती उत्पादन की जानकारी सांझा की –

• न्यूनतम निवेश 40000 से 60000
• मोती उत्पादन के लिए आवश्यक पानी का तापमान — 35°सेल्सियस
• मोती उत्पादन के लिए एक पानी की टैंकी आवश्यक है।
• सीप मेरठ और अलीगढ़ से मछुआरों से 5—15 रूपये में खरीदे जा सकते हैं।
• इन सीपको पानी की टैंकी में 10—12 महीने के लिए रखा जाता है और जब शैल अपना रंग बदलकर सिल्वर रंग का हो जाता है तब मोती तैयार हो जाता है।
• खैर, यह अच्छा गोल आकार लेने में 2 —2.5 वर्ष लगाता है।
• शैल को इसकी आंतरिक चमक से पहचाना जाता है।
• आमतौर पर शैल का आकार 8—11 सैं.मी. होता है।
• मोती के लिए आदर्श बाजार राजकोट, दिल्ली, दिल्ली के नज़दीक के क्षेत्र और सूरत हैं।

मोती उत्पादन के मुख्य कार्य:
मुख्य कार्य सीप की सर्जरी है और इस काम के लिए संस्थान द्वारा विशेष ट्रेनिंग दी जाती है। मोती के अलावा सीप के अंदर विभिन्न तरह के आकार और डिज़ाइन बनाए जा सकते हैं।

विनोद ना केवल मोती उत्पादनकर रहे हैं बल्कि वे अन्य किसानों को भी ट्रेनिंग प्रदान कर रहे हैं। उन्हें उद्यमिता विकास के लिए ताजे पानी में मोती की खेती की ट्रेनिंग में ICAR- सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ फ्रेश वॉटर एक्वाकल्चर द्वारा प्रमाणित किया गया है। अब तक 30000 से अधिक लोगों ने उनके फार्म का दौरा किया है और उन्होंने कभी भी किसी को निराश नहीं किया है।

संदेश
“आज के किसान यदि अपने जीवन में आगे बढ़ना चाहते हैं तो उन्हें अलग सोचना चाहिए लेकिन यह भावना भी धैर्य की मांग करती है क्योंकि मेरे कई छात्र ट्रेनिंग के लिए मेरे पास आए और ट्रेनिंग के तुरंत बाद ही उन्होंने अपना व्यवसाय शुरू करने की कोशिश की लेकिन वे सफल नहीं हुए। लोगों को यह समझना चाहिए कि सफलता धैर्य और लगातार अभ्यास से मिलती है।”

फारूखनगर तहसील, गुरूग्राम के एक छोटे से गांव जमालपुर में रहने वाले श्री विनोद कुमार ने अपने अनुभव और दृढ़ संकल्प के साथ साबित कर दिया है कि फ्रैश वॉटर सीपकल्चर में विशाल क्षमता है।