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भूपिंदर सिंह संधा

(मक्खीपालन)

प्रगतिशील किसान भूपिंदर सिंह संधा से मिलें जो मधुमक्खीपालन के प्रचार में मधुमक्खियों के जितना ही व्यस्त और कुशल हैं।

मधुमक्खी के डंक को याद करके, आमतौर पर ज्यादातर लोग आस-पास की मधुमक्खियों से नफरत करते हैं। इस तथ्य से अनजान होते हुए कि ये मशगूल छोटी मधुमक्खियां ना केवल शहद से बल्कि कई अन्य मधुमक्खी उत्पादों के द्वारा आपको एक अविश्वसनीय लाभ कमाने में मदद कर सकती हैं।

लेकिन यह कभी धन नहीं था जिसके लिए भूपिंदर सिंह संधा ने मधु मक्खी पालन शुरू किया, भूपिंदर सिंह को मधु मक्खियों की भनभनाहट, उनकी शहद बनाने की कला और मक्खीपालन के लाभों ने इस उद्यम की तरफ उन्हें आकर्षित किया।

1993 का समय था जब भूपिंदर सिंह संधा को कृषि विभाग द्वारा आयोजित राजपुरा में मधुमक्खी फार्म की दौरे के समय मक्खीपालन की प्रक्रिया के बारे में पता चला। मधुमक्खियों के काम को देखकर भूपिंदर सिंह इतना प्रेरित हुए कि उन्होंने केवल 5 अनुदानित मधुमक्खी बक्सों के साथ मक्खी पालन शुरू करने का फैसला किया।

कहने के लिए, भूपिंदर सिंह संधा फार्मासिस्ट थे और उनके पास फार्मेसी की डिग्री थी लेकिन उनका जीवन आस-पास भिनकती मक्खियां और शहद की मिठास से घिरा हुआ था।

1994 में भूपिंदर सिंह संधा ने एक फार्मा स्टोर भी खोला और उसे तैयार शहद बेचने के लिए प्रयोग किया और इससे उनका मक्खीपालन का व्यवसाय भी लगातार बढ़ रहा था। उनका फार्मेसी में आने का उद्देश्य लोगों की मदद करना था, पर बाद में उन्हें एहसास हुआ कि वे सिर्फ निर्धारित की गई दवाइयां बेच रहे हैं, जो वास्तव में वे नहीं हैं जो उन्होंने सोचा था। उन्होंने 1997 में, बाजार अनुसंधान की और विश्लेषण किया कि मक्खीपालन वह क्षेत्र है जिस पर उन्हें ध्यान केंद्रित करना चाहिए। इसलिए 5 साल फार्मा स्टोर चलाने के बाद उन्होंने चिकित्सक लाइन को छोड़ दिया और मधुमक्खियों पर पूरी तरह ध्यान देने का फैसला किया।

और यह कहा जाता है- जब आप अपनी पसंद का कोई काम चुनते हैं तो आप ज़िंदगी में वास्तविक खुशी महसूस करते हैं।

भूपिंदर सिंह संधा के साथ भी यही था उन्होंने मक्खीपालन में अपनी वास्तविक खुशी को ढूंढा। 1999 में उन्होंने 500 बक्सों से मक्खीपालन का विस्तार किया और 6 तरह की शहद की किस्मों के साथ आए जैसे हिमालयन, अजवायन, तुलसी, कश्मीरी, सफेदा, लीची आदि। शहद के अलावा वे बी पोलन, बी वैक्स और भुने हुए फ्लैक्स सीड पाउडर भी बेचते हैं। अपने मधुमक्खी उत्पादों के प्रतिनिधित्व के लिए उन्होंने जो ब्रांड नाम चुना वह है अमोलक और वर्तमान में, पंजाब में इसकी अच्छी मार्किट है। 10 श्रमिकों के समूह के साथ वे पूरे बी फार्म का काम संभालते हैं और उनकी पत्नी भी उनके उद्यम में उनका समर्थन करती है।

भूपिंदर सिंह संधा के लिए मधुमक्खीपालन उनके जीवन का एक प्रमुख हिस्सा है ना केवल इसलिए कि यह आय का स्त्रोत है बल्यि इसलिए भी कि वे मधुमक्खियों को काम करते देखना पसंद करते हैं और यह कुदरत के अनोखे अजूबे का अनुभव करने के लिए एक बेहतरीन तरीका है। मधुमक्खी पालन के माध्यम से, वे विभिन्न क्षेत्रों में अन्य किसानों के साथ आगे बढ़ना चाहते हैं। वे उन किसानों को भी गाइड करते हैं जो उनके फार्म पर शहद इक्ट्ठा करना, रानी मक्खी तैयार करना और उत्पादों की पैकेजिंग की प्रैक्टीकल ट्रेनिंग के लिए आते हैं। रेडियो प्रोग्राम और प्रिंट मीडिया के माध्यम से वे समाज और मक्खीपालन के विस्तार और इसकी विभिन्नता में अपना सर्वोत्तम सहयोग देने की कोशिश करते हैं।

भूपिंदर सिंह संधा का फार्म उनके गांव टिवाणा, पटियाला में स्थित है जहां पर उन्होंने 10 एकड़ ज़मीन किराये पर ली है। वे आमतौर पर 900-1000 मधुमक्खी बक्से रखते हैं और बाकी को बेच देते हैं। उनकी पत्नी उनकी दूसरी व्यापारिक भागीदार है और हर कदम पर उनका समर्थन करती है। अपने काम को और सफल बनाने के लिए और अपने कौशल को बेहतर बनाने के लिए उन्होंने कई ट्रेनिंग में हिस्सा लिया है और पूरे विश्व में कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्लेटफार्म पर अपने काम को प्रदर्शित किया है। उन्होंने मधुमक्खी पालन के क्षेत्र में पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों द्वारा कई प्रशंसा पत्र प्राप्त किए है। ATMA स्कीम के तहत अमोलक नाम के द्वारा उनके पास अपनी ATMA किसान हट है जहां पर वे अपने तैयार उत्पादों को बेचते हैं।

भविष्य की योजना:

भविष्य में वे मधुमक्खियों के एक और उत्पाद के साथ आने की योजना बना रहे हैं और वह है प्रोपोलिस। मक्खीपालन के अलावा वे अमोलक ब्रांड के तहत रसायन मुक्त जैविक शक्कर से पहचान करवाना चाहते हैं। उनके पास कई अन्य महान योजनाएं हैं जिनपर वे अभी काम कर रहे हैं और बाद में समय आने पर सबके साथ सांझा करेंगे।

संदेश

“मक्खीपालकों के लिए शहद का स्वंय मंडीकरण करना सबसे अच्छी बात है क्योंकि इस तरह से वे मिलावटी और मध्यस्थों की भूमिका को कम कर सकते हैं जो कि अधिकतर मुनाफे को जब्त कर लेते हैं।”

भूपिंदर सिंह संधा ने मक्खीपालन में अपने जुनून के साथ उद्यम शुरू किया और भविष्य में वे समाज के कल्याण के लिए मक्खीपालन क्षेत्र में छिपी संभावनाओं को पता लगाने की कोशिश करेंगे। यदि भूपिंदर सिंह संधा की कहानी ने आपको मधुमक्खी पालन के बारे में अधिक जानने के लिए उत्साहित किया है तो अधिक जानने के लिए आप उनसे संपर्क कर सकते हैं।