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हरिमन शर्मा

(बागबानी, सेब)

एक किसान की कहानी जिसने अपना कर्म करते हुए, अपनी मेहनत से सफलता का स्वाद चखा

ऐसा कहा जाता है कि मानव इच्छा शक्ति के आगे कोई भी चीज़ टिकी नहीं रह सकती। ऐसी ही इच्छा और शक्ति के साथ एक ऐसे व्यक्ति आये जिन्होंने अपने निरंतर प्रयास के साथ उस ज़मीन पर सेब की एक नई किस्म का विकास किया, जहां पर यह लगभग असंभव था।

श्री हरिमन शर्मा एक सफल किसान हैं जिनके पास  सेब, आम, आडू, कॉफी, लीची और अनार के बगीचे हैं। एक उष्णकटिबंधीय स्थान (गांव पनीला कोठी, जिला बिलासपुर, हिमाचल प्रदेश), जहां तापमान 45 डिग्री तक बढ़ जाता है और भूमि में 80 %चट्टानें हैं और 20% मिट्टी है। यहां पर सेब उगाना लगभग असंभव था लेकिन हरिमन शार्मा की लगातार कोशिशों ने इसे संभव किया।

इससे पहले हरिमन शर्मा एक किसान नहीं थे और जो सफलता उन्होंने आज हासिल की है उसके लिए उन्हें अपने जीवन में कई चुनौतियों और कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। 1971 से 1982 तक वे मजदूर थे, 1983 से 1990 तक उन्होंने पत्थर तोड़ने का और सब्जियों की खेती का काम किया। 1991 से 1998 तक उन्होंने सब्जी की खेती के साथ-साथ आम के बाग भी लगाए।

1999 में एक मोड़ ऐसा आया जब उन्होंने अपने आंगन में एक सेब का बीज अंकुरित होते देखा।उन्होंने उस अंकुर को संरक्षित किया और अपने खेती के अनुभव के दौरान प्राप्त ज्ञान से इसका पोषन करना शुरू कर दिया। क्वालिटी को सुधारने के लिए उन्होंने आलूबुखारा के वृक्ष के तने पर सेब के वृक्ष की शाखा की ग्राफ्टिंग कर दी और इसका परिणाम असाधारण था। दो वर्ष बाद सेब के पेड़ ने फल देना शुरू कर दिया। आखिरकार उन्होंने एक अलग प्रकार का सेब विकसित किया, जो कि गर्म जलवायु के साथ बहुत कम पहाड़ियों पर व्यापारिक रूप से उगाया जा सकता है।

धीरे-धीरे समय के साथ हरिमन शर्मा के द्वारा खोजी गई सेब की नई किस्म की बात फैल गई। अधिकांश लोगों ने इन रिपोर्टों को खारिज कर दिया और कुछ आश्चर्यचकित हुए। लेकिन 7 जुलाई 2008 को हरिमन शर्मा शिमला गए और उन्होंने उनके द्वारा विकसित किए गए सेब की एक टोकरी की पेशकश की, जो हिमाचल के मुख्यमंत्री के लिए थी। मुख्यमंत्री ने तुरंत अपने मंत्रीमंडल के सहयोगियों को इकट्ठा किया और उन सभी ने उन सेबों को चखा और जल्द ही मुख्यमंत्री ने इस सेब को हरिमन नाम दिया। बागबानी विश्वविद्यालय और विभाग के कई विशेषज्ञ विशेष रूप से उनके बगीचे में गए और वास्तव में आश्चर्यचकित और उनके काम से आश्वस्त हुए।

उन्होंने एक ही किस्म के सेब के 8 वृक्ष विकसित किए हैं जो कि बाग में आम के वृक्ष के साथ बढ़ रहे हैं और अब तक अच्छी उपज दे रहे हैं। हरिमन शर्मा द्वारा विकसित की गई किस्म का नाम उन्हीं के नाम पर HRMN-99  है। उन्होंने देश भर में किसानों, माली, उद्यमियों और सरकारी संगठनों को 3 लाख से अधिक पौधों को विकसित और वितरित किया है और HRMN-99  किस्म के 55 सेब के पौधे राष्ट्रपति भवन में लगाए हैं। उन्होंने आम, लीची, अनार, कॉफी और आड़ू फलों के बाग भी बनाए हैं।

हरिमन शर्मा द्वारा विकसित सेब की किस्म को कम  तापमान की जरूरत होती है और उप उष्णकटिबंधीय मैदानों में फूलों और फलों का उत्पादन होता है। उनकी उपलब्धि बागबानी के क्षेत्र में बहुत महत्तव रखती है, आज समाज में हरिमन शर्मा का योगदान केवल महान ही नहीं बल्कि दूसरे किसानों के लिए प्रेरणास्त्रोत भी है।

आज हरिमन एप्पल को भारत के लगभग प्रत्येक राज्य में उगाया और पोषित किया जाता है। उनकी कड़ी मेहनत ने साबित कर दिया है कि गर्म जलवायु के साथ बहुत कम पहाड़ियों पर सेब को व्यापारिक तौर पर उगाया जा सकता है।  श्री शर्मा अपनी बेहतर तकनीकों को अपने किसान साथियों के साथ शेयर कर रहे हैं और फैला रहे हैं।

कृषि के क्षेत्र में हरिमन शर्मा को उनके काम के लिए कई पुरस्कार और प्रशंसा मिली है उनमें से कुछ निम्नलिखित हैं:

• भारतीय कृशि अनुसंधान संस्थान, दिल्ली में प्रगतिशील किसान के रूप में सम्मानित किया गया।

• राष्ट्रपति भवन में नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन के प्रोग्राम में अपनी नई खोज के लिए राष्ट्रपति से पुरस्कार प्राप्त किया।

• 2010 के सर्वश्रेष्ठ हिमाचली किसान शीर्षक से सम्मानित।

• 15 अगस्त 2009 में प्रेरणा स्त्रोत सम्मान पुरस्कार।

• 15 अगस्त 2008 में राज्य स्तरीय सर्वश्रेष्ठ किसान पुरस्कार।

• ऊना (2011 में) सेब का सफलतापूर्वक उत्पादन पुरस्कार।

• 19 जनवरी 2017 को कृषि पंडित पुरस्कार।

• इफको की जयंति के शुभ अवसर पर 29.4.2017 को उत्कृष्ट कृषक पुरस्कार।

• पूसा भवन दिल्ली केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री द्वारा 17.3.2-10 में IARI Fellow Award

• 21 मार्च 2016 में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री भारत सरकार – राधा मोहन सिंह द्वारा राष्ट्रीय नवोन्मेषी कृषक सम्मान।

• सेब उत्पादन के लिए 3 फरवरी 2016 को हिमाचल प्रदेश के महामहिम राज्यपाल द्वारा।

• नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन द्वारा आयोजित, 4 मार्च 2017 को राष्ट्रीय द्वितीय अवार्ड।

• 9 मार्च 2017 को राजस्थान यूनिवर्सिटी ऑफ वैटर्नरी एंड एनीमल साइंसिज़ बीकानेर द्वारा फार्मर साइंटिस्ट अवार्ड।

हरिमन शर्मा द्वारा दिया गया संदेश
कर्म मनुष्य का अधिकार है फल को प्राप्त करने के लिए कर्म नहीं किया जाता। एक खेत में किसान का काम बीज बोना है, लेकिन अनाज का बढ़ना किसान के हाथों में नहीं है। किसान को अपना काम कभी भी अधूरा नहीं छोड़ना चाहिए और उसे अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करना चाहिए। मैंने उस सेब के अंकुर को विकसित करने और उसके साथ कुछ नया करने की कोशिश की। यही कारण है कि मैं यहां हूं और यही कारण है कि सेब की किस्म का नाम मेरे नाम पर है। हर किसान को अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करना चाहिए और कर्म करते रहना चाहिए।