यूपी-बिहार के किसानों के लिए खुशखबरी, कृषि वैज्ञानिकों ने पेश की गेहूं की नई किस्म

August 22 2019

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के करनाल स्थित गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान केन्द्र (Maize and Wheat Improvement Center) ने गेहूं की एक नई किस्म ‘करन वन्दना’ (Karan Vandana) पेश की है. यह किस्म रोग प्रतिरोधी क्षमता रखने के साथ-साथ अधिक उपज देने वाली है. कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार गेहूं की यह किस्म उत्तर-पूर्वी भारत के गंगा तटीय क्षेत्र के लिए अधिक उपयुक्त है. वर्षों के अनुसंधान के बाद विकसित ‘करन वन्दना’ अधिक पैदावार देने के साथ गेहूं ‘ब्लास्ट’ नामक बीमारी से भी लड़ने में सक्षम है.

9.7 क्विंटल प्रति हेक्टेयर अधिक होगी पैदावार

वैज्ञानिकों के अनुसार यह किस्म पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, असम जैसे उत्तर पूर्वी क्षेत्रों की कृषि भौगोलिक परिस्थितियों और जलवायु में खेती के लिए उपयुक्त है. उनके अनुसार जहां गेहूं की अन्य किस्मों से औसत उपज 55 क्विन्टल प्रति हेक्टेयर तक प्राप्त की जाती है वहीं ‘करन वन्दना’ से 64.70 क्विन्टल प्रति हेक्टेयर से भी अधिक की पैदावार हासिल की जा सकती है.

नई किस्म में महत्वपूर्ण खनिज मौजूद

संस्थान के निदेशक डॉ. ज्ञानेन्द्र प्रताप सिंह नेबताया, ‘गेहूं की इस नई किस्म (‘करन वन्दना’-डीबीडब्ल्यू 187) में रोग से लड़ने की कहीं अधिक क्षमता है. साथ ही इसमें प्रोटीन के अलावा जैविक रूप से जस्ता, लोहा और कई अन्य महत्वपूर्ण खनिज मौजूद हैं जो आज पोषण आवश्यकताओं की जरुरत के लिहाज से इसे बेहद उपयुक्त बनाता है.’

‘ब्लास्ट’ नामक बीमारी से लड़ने में सक्षम

उन्होंने बताया कि सामान्य तौर पर धान में ‘ब्लास्ट’ नामक एक बीमारी देखी जाती थी लेकिन पहली बार दक्षिण पूर्व एशिया में और अभी हाल ही में बांग्लादेश में गेहूं की फसल में इस रोग को पाया गया था और तभी से इस चुनौती के मद्देनजर विशेषकर उत्तर पूर्वी भारत की स्थितियों के अनुरूप गेहूं की इस किस्म को विकसित करने के लिए शोध कार्य शुरू हुआ जिसके परिणामस्वरूप ‘करन वन्दना’ अस्तित्व में आया. इसमें इस किस्म में इस रोग के साथ कई रोगों के प्रति प्रतिरोधक क्षमता पाई गई है.

120 दिनों में फसल तैयार

उन्होंने बताया कि इस नई किस्म के गेहूं की बुवाई के बाद फसल की बालियां 77 दिनों में निकल आती है और कुल 120 दिनों में यह पूरी तरह से तैयार हो जाता है. उन्होंने बताया कि गोरखपुर के महायोगी गोरखनाथ कृषि विज्ञान केन्द्र के साथ मिलकर स्थानीय किसानों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया था. इस कार्यक्रम से जिले के राखूखोर गांव की प्रशिक्षण लेने वाली एक महिला किसान (श्रीमती कोल्ला देवी, पत्नी- अर्जुन) ने इस बीज की खेती कर लगभग 80 क्विन्टल प्रति हेक्टेयर गेहूं का उत्पादन कर सबको चकित कर दिया. निदेशक डॉ सिंह ने कहा कि संस्थान की ओर इस किस्म को पश्चिमी भारत में भी खेती के लिए सिफारिश की जाएगी.

 

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स्रोत: न्यूज़ 18 हिंदी