फर्जी किसान सावधान! सम्मान निधि स्कीम का गलत फायदा लिया तो वापस करने होंगे पैसे

June 11 2019

प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि स्कीम के तहत सालाना 6000 रुपये का लाभ लेने के लिए कुछ लोग गड़गड़ी करने लगे हैं. पहली किस्त कुछ ऐसे लोगों को भी मिल गई है जो इसके हकदार नहीं हैं. क्योंकि यह किस्त लोकसभा चुनाव से पहले आनन-फानन में भेजी गई थी और उसका वेरीफिकेशन ढंग से नहीं हो पाया था. लेकिन अब ऐसे फर्जी किसानों पर सरकार सख्त है. वो ऐसे लोगों से यह रकम वापस ले रही है, ताकि इसका पैसा सही किसानों तक पहुंचे.

यह बात अच्छी तरह से समझ लीजिए, अगर आप किसान नहीं हैं और सेटिंग करके गलत तरीके से इस स्कीम का फायदा उठा रहे हैं तो हर हाल में पैसे वापस करने होंगे. अगर सूत्रों की मानें तो अब तक करीब सवा लाख लोगों के अकाउंट में जमा कराई गई रकम सरकार ने वापस ले ली है. जबकि 1.5 लाख किसानों की किस्तें उनके अकाउंट में भेजने से पहले ही रोक ली गई. वहीं, 2.69 लाख किसानों के बैंक अकाउंट और खेत के मालिक के नाम के बीच अंतर पाया गया है.

खेती-किसानी के विकास के लिए बनाई गई यह सबसे अहम योजना है. मोदी सरकार ने अपने पहले कार्यकाल में इसी साल 24 फरवरी को इसे शुरू किया था. अधिकारियों को योजना के लाभार्थियों का नंबर अधिक दिखाना था इसलिए उस वक्त ठीक से वेरीफिकेशन नहीं किया वरना गड़बड़ी तभी पकड़ी जाती. खेत किसी और के नाम है और बैंक अकाउंट किसी और का भेज दिया गया. जिन किसानों  के नाम और बैंक अकाउंट में मिलान नहीं हुआ उनसे पहली किस्त का पैसा वापस लिया जा रहा है.

गड़बड़ी पर ऐसे वापस लिया जाता है पैसा

केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने राज्यों को एक पत्र लिखकर पहले ही कह दिया था कि अगर अपात्र लोगों को लाभ मिलने की सूचना मिलती है तो उनका पैसा कैसे वापस होगा. न्यूज18 हिंदी से बातचीत में योजना के सीईओ विवेक अग्रवाल ने कहा था कि इतनी बड़ी योजना है तो गड़बड़ी की संभावना बनी ही रहती है. अगर अपात्र लोगों के खातों में पैसा ट्रांसफर हुआ तो उसे डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) से वापस लिया जाएगा. बैंक इस पैसे को अलग अकाउंट में डालेंगे और राज्य सरकार को वापस करेंगे. राज्य सरकारें अपात्रों से पैसे वापस लेकर https://bharatkosh.gov.in/ में जमा कराएंगी. अगली किस्त जारी होने से पहले ऐसे लोगों का नाम हटाया जाएगा.

1.19 लाख अकाउंट में बिना वेरीफिकेशन जमा हुआ पैसा! 

इस योजना का पैसा केंद्र सरकार के खाते से किसानों के बैंक अकाउंट में सीधे नहीं जा रहा. केंद्र सरकार राज्यों के अकाउंट में पैसा भेजती है फिर उस अकाउंट से किसानों तक पैसा पहुंचता है. बताया जा रहा है कि वेरीफिकेशन करने से पहले ही ऐसे 1.19 लाख बैंक अकाउंट में पहली किस्त जमा हो गई थी. पहली किस्त भेजने के बाद डाटा का वेरीफिकेशन शुरू हुआ और गलती पकड़ में आने लगी.

पहली किस्त 3 करोड़ को दूसरी सिर्फ 2 करोड़ को

बैंकों को निर्देश दिया गया कि वेरीफिकेशन के बिना पैसा रोक लिया जाए. वेरीफिकेशन की वजह से ही दूसरी किस्त की रफ्तार धीमी है. पहली किस्त 3 करोड़ से अधिक किसानों को मिली है जबकि दूसरी किस्त लगभग 2 करोड़ लोगों तक ही पहुंची है. सरकार ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि जिन लोगों के नाम 1 फरवरी 2019 तक लैंड रिकॉर्ड में पाया जाएगा वही इसके हकदार होंगे. यानी लाभ उन्हीं किसानों को मिल पायेगा, जिन्हें जमीन का मालिकाना हक हासिल है.

इस गड़बड़ी को खत्म करने के लिए ही सरकार ने तीसरी किस्‍त जारी करने के लिए आधार बायोमेट्रिक को अनिवार्य कर दिया है. आंकड़ों को प्रमाणित करने के लिए पर्याप्त कदम उठाए जा रहे हैं. कोशिश है कि असली किसानों को ही इसका लाभ मिले.

इन लोगों को नहीं मिलेगा 6000 रुपये का लाभ

भूतपूर्व या वर्तमान में संवैधानिक पद धारक, वर्तमान या पूर्व मंत्री, मेयर या जिला पंचायत अध्यक्ष, विधायक, एमएलसी, लोकसभा और राज्यसभा सांसदों को इसका फायदा नहीं मिलेगा. लास्ट वित्तीय वर्ष में इनकम टैक्स का भुगतान करने वाले इस लाभ से वंचित होंगे.

सरकार अपात्र लोगों से वापस लेगी पैसा!

केंद्र या राज्य सरकार में अधिकारी (मल्टी टास्किंग स्टाफ / चतुर्थ श्रेणी / समूह डी कर्मचारियों को छोड़कर) एवं 10 हजार से अधिक पेंशन पाने वाले किसानों को इसका लाभ नहीं मिलेगा. पेशेवर, डॉक्टर, इंजीनियर, सीए, वकील, आर्किटेक्ट, जो कहीं खेती भी करता हो उसे इस लाभ का हकदार नहीं माना जाएगा.

 

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स्रोत: न्यूज़ 18 हिंदी