नई तकनीक से गार्डन होंगे गुलजार, वर्टिकल गार्डन और ग्रोथ स्प्रे से बढ़ेगी बगिया की रौनक

January 16 2020

गार्डनिंग के लिए अक्सर वर्टिकल गार्डन, ग्रोथ स्प्रे जैसी कई नई तकनीकें पौधों की गुणवत्ता और उनकी साज-सज्जा के लिए अपनाई जाती हैं। आपने भी इनका नाम सुना होगा पर इन्हें इस्तेमाल करने के फ़ायदे हैं भी या नहीं, ये जानना भी ज़रूरी है। बागवानी विशेषज्ञ जुबेर मुहम्मद से जानिए इनका कैसे और कब करें प्रयोग-

ग्रोथ के लिए प्रमोटर 

पौधों की अच्छी ग्रोथ के लिए ग्रोथ प्रमोटर नई तकनीक है। इसे मिट्‌टी में मिलाया जाता है, लेकिन प्राकृतिक ग्रोथ प्रमोटर का इस्तेमाल करना ज़्यादा बेहतर है। ये काफ़ी महंगे भी होते हैं।

घर पर बनाएं ग्रोथ प्रमोटर  

आमतौर पर चायपत्ती, केले के छिलके, थोड़ा-सा सिरका, पानी और अंडे के छिलकों को मिलाकर मिश्रण तैयार कर सकते हैं। इसके अलावा नारियल जूट का बुरादा, वर्मीकम्पोस्ट और गोबर को बराबर मात्रा में मिलाकर ग्रोथ प्रमोटर बना सकते हैं। इनमें सब्ज़ियों के छिलके या पत्ते भी मिला सकते है।

सजावट के लिए छ़ोटे प्लॉट 

इन दिनों मेज़ पर पौधे सजाने के लिए टेस्ट ट्यूब आकार के पारदर्शी जार ट्रेंड में हैं। इनमें वही पौधे ठहर सकते हैं जो धीरे-धीरे बढ़ते हैं, हालांकि ये सिर्फ़ सजावट के लिहाज़ से ही बेहतर हैं। 

ऑरगैनिक स्प्रे 

इस स्प्रे का इस्तेमाल ख़ासतौर पर पौधों में लगे कीड़ों को ख़त्म करने के लिए किया जाता है। ये सस्ता होने के साथ-साथ जैविक भी है, इसलिए इसे इस्तेमाल करना आसान है। इसे आप घर पर भी बना सकते हैं।

प़ोषण के लिए ग्रीन स्टिक 

पौधों की अच्छी ग्रोथ के लिए इन दिनों ग्रीन स्टिक इस्तेमाल की जा रही है। ये छोटी-छोटी डंडी की तरह होती हैं, जिन्हें पौधे के आसपास मिट्‌टी में खड़ा दबाया जाता है, जिससे पौधों को पोषक तत्व मिलता है और उनकी वृद्धि अच्छी होती है। ये काफ़ी महंगी होती हैं, इसलिए जिन लोगों के पास समय का अभाव है, उनके लिए ये तकनीक मददगार है।

क्या होता है वर्टिकल गार्डन? 

जो लोग कम जगह पर बाग़ीचा बनाना चाहते हैं, उनके लिए वर्टिकल गार्डन एक अच्छा विकल्प है। इन्हें बहुत छोटे-छोटे गमलों में लगाने के बजाय थोड़े बड़े गमलों में लगाना बेहतर है। छोटे गमलों में लगाने से इनकी उम्र कम हो जाती है और पौधों को अच्छी तरह से पोषण नहीं मिल पाता। अगर पौधों को लंबे समय तक रखना चाहते हैं तो बड़े गमलों का इस्तेमाल करें।

 

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स्रोत: दैनिक भास्कर