गर्मी में धान को उगाकर किसान ले रहे है बेहतर फसल उत्पादन

June 14 2019

गर्मी का सीजन लगते हीपानी की अधिक खपत होने के चलते धान की खेती पर रोक लगाई जाती है. पर किसान अपनी मेहनत से इस सीजन में धान की भरपूर पैदावार कर रहे है. दरअसल छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर में किसानों ने बड़े पैमाने पर धान की खेती की है. मानसून से पूर्व धान की कटाई मिसाई करने में किसान जुटे हुए है. चिलचिलाती धूप के बाद भी किसान अपनी मेहनत से पीछे नहीं हट रहे है. सुबह से ही परिवार सहित गर्मी सीजन के धान की कटाई मिसाई कर रहे है. इसीलिए किसान मानसून के आने से पहले ही फसलों का भंडारण करने में जुट गए है. खरीफ सीजन में सरगुजा जिले में बड़े पैमाने पर धान की खेती तो की ही जाती है किंतु जायद में धान की फसल सिंचित फसलों में किसान जरूरत से ज्यदा रकबा देने लगे है. पानी के अधिक लगने के कारण शासन स्तर से गर्मी में धान की खेती पर अक्सर रोक लगाई जाती है. किंतु गर्मियों में किसान धान इसीलिए लगाते है ताकि पैदावार बेहतर हो सकें. इस सीजन में धान में किसी भी तरह का रोग व्याधि नहीं लगता है. धान पूरी तरह से गुणवत्तायुक्त होता है.

गर्मी में भी लग रहे हाइब्रिड धान

गर्मी के सीजन में कम अवधि के पुराने और पांरपरिक धान बीज किसान लगाते थे जिससे काफी कम मात्रा में उत्पादन होता था किंतु पिछले कुछ वर्षों से वह हाइब्रिड धान को उगाने का काम कर रहे है, हाइब्रिड धान से बंपर उत्पादन किसान प्राप्त कर रहे है. गर्मी का धान खरीफ के धान की कटाई नंबवर और दिसंबर मे ही होती है. ऐसे में मई के अंतिम सप्ताह और जून के प्रथम पखवाड़े तक आसानी से कटाई और मिसाई हो जाती है.

बांकी क्षेत्र में रकबा बढ़ा

यह घुनघुट्टा और बांकी जालाशय क्षेत्र के गांव में किसान गर्मी वाली धान की खेती सर्वाधिक रकबे में कर रहे है. बेहतर उत्पादन को देख कर अन्य किसान भी गर्मी में धान को लगाने में लगे हुए है इसीलिए यह रकबा हर साल बढ़ता ही जा रहा है.शहर से लगे खैबार बांकी नदी में किनारे पर हर साल धान की खेती की जाती है.

समर्थन मूल्य पर हो धान की खरीददारी

गर्मी में धान का बंपर उत्पादन होने लगा है. इस धान को सीधे सेठ-साहूकारों को बेचना भी पड़ता है. समर्थऩ मूल्य पर गर्मी वाली धान की खरीदी न होने पर किसानों को धान का बाजिव मूल्य नहीं मिल पाता है.शासन और प्रशासन को गर्मी में उत्पादित धान की खरीदी समर्थन मूल्य पर करनी चाहिए.

 

इस खबर को अपनी खेती के स्टाफ द्वारा सम्पादित नहीं किया गया है एवं यह खबर अलग-अलग फीड में से प्रकाशित की गयी है।

स्रोत: कृषि जागरण