कांकेर जिले के दुर्गूकोंदल ब्लॉक में खरीफ सीजन फसल धान के बाद सबसे अधिक मक्का की होने लगी है। अंचल के किसानों का रुझाान धान के साथ ही अब मक्के की ओर बढ़ रहा है। मक्के के लिए धान की अपेक्षा कम पानी लगता है। अंचल में पानी की कमी और देखरेख का झंझट नहीं होने से इसका रकबा लगातार क्षेत्र में बढ़ते जा रहा है। कम लालत, कम सिंचाई और आमदानी अधिक होने से किसान मक्के की खेती करने लगे हैं।
मक्के की खेती के लिए जलवायु और भूमि
मक्का उष्ण एवं आर्द्र जलवायु की फसल है। इसके लिए ऐसी भूमि जहां पानी का निकास अच्छा हो, उपयुक्त होती है।
मक्का बोआई का समय
खरीफ- जून से जुलाई तक
रबी- अक्टूबर से नवंबर तक
मक्का बोआई का तरीका
वर्षा प्रारंभ होने पर मक्का बोना चाहिए। सिंचाई साधन हो तो 10 से 15 दिन पूर्व ही बोनी करनी चाहिए, इससे पैदावार में वृद्धि होती है। बीज की बोआई मेड़ के किनारे व ऊपर से 3-5 सेमी की गहराई पर करनी चाहिए। बोआई के एक माह बाद मिट्टी चढ़ाने का कार्य करना चाहिए। बोआई किसी भी विधी से की जाए परंतु खेत में पौधों की संख्या 55-8- हजार प्रति हेक्टेयर रखना चाहिए।
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स्रोत: नई दुनिया