कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा अरहर फसल की बुवाई पर प्रशिक्षण

July 20 2018

 

कृषि विज्ञान केन्द्र, पन्ना के डॉ. बी. एस. किरार एवं  डी. पी. सिंह द्वारा विगत दिवस गांव सिद्धपुर वि. खं. अजयगढ़ में अरहर की बुवाई पर कृषकों को प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण में बीज जनित रोगों से बचाने के लिए जैविक फफूंदनाशक दवा ट्राईकोडर्मा विरडी 10 मिली. प्रति कि.ग्रा. बीज की दर से उपचारित करें उसके बाद राइजोबियम और पी.एस.बी. कल्चर 10-10 मिली. प्रति कि.ग्रा. बीज की दर से उपचारित कर शीघ्र बुवाई करें|

बुवाई कतारों में कूड़ एवं नाली विधि (रिज्ड एवं फरो) से करें जिससे अधिक वर्षा में फसल सड़ेंगी नहीं और जड़ों में ग्रंथियों का विकास अच्छा होता है। और जड़ों में ग्रंथियों को नाईट्रेट के रूप में उपलब्ध कराती है। बुवाई के समय आधार रूप में यूरिया 17 किग्रा. सिंगल सुपर फास्फेट 100-125 किग्रा. और म्यूरेट ऑफ पोटाश 10-12 किग्रा./एकड़ या फिर दूसरे उर्वरक के रूप में डी.ए.पी. 25 किग्रा., यूरिया 8 किग्रा. और म्यूरेट ऑफ पोटाश 10-13 किग्रा. प्रति एकड़ बुवाई के समय खेत में मिला देना चाहिए।=

बुवाई के समय अपने खेतों की मेड़ अवश्य बनाना चाहिए। जिससे हमारे खेत की उपजाऊ मिट्टी वर्षा या सिंचाई के पानी के साथ बहकर उर्वरा शक्ति कमजोर न हो जाये अन्यथा फसल का उत्पादन कम हो जाएगा। खरीफ फसलों की बुवाई के 20-25 दिन में निंदाई कार्य अवश्य करना चाहिए। जिससे फसल में शाखाऐं अधिक और बढ़वार अच्छी होगी। वैज्ञानिकों द्वारा कृषकों के खरीफ की अन्य फसलों धान, उड़द एवं तिल पर उनकी समस्याओं का समाधान किया।

इस खबर को अपनी खेती के स्टाफ द्वारा सम्पादित नहीं किया गया है एवं यह कहानी अलग-अलग फीड में से प्रकाशित की गयी है|

Source: Krishi Jagran