महासमुंद का खास नींबू, कर्नाटक सहित देश के कई राज्यों से आ रही मांग

December 08 2018

 छत्तीसगढ़ के प्रगतिशील किसान खेती में नित नए प्रयोग कर रहे हैं और इसमें सफल भी हो रहे हैं। महासमुंद शहर के कुर्मी पारा स्थित एक फार्म हाउस में स्थानीय किसान नागेश चंद्राकर के उपजाए हुए नींबू अब देश भर में लोकप्रिय हो रहे हैं। कर्नाटक सहित कई राज्यों में इन नींबुओं की चर्चा फैल चुकी है और वहां से लगातार इनकी मांग आ रही है।

 नागेश ने यहां परंपरागत खेती के अलावा तीन एक़ड़ में उन्नत किस्म के नींबू का पौधा लगाया है। यह नींबू बड़े आकार, कम बीज और ज्यादा रस की वजह से लोगों को लुभाता है। स्थिति यह है कि यह नींबू बंगलुरू तक एक्सपोर्ट किया जा रहा है। प्रत्येक पखवाड़े में गाड़ियां लगती हैं और बोरियों में भरकर नींबू कर्नाटक भेजा जाता है। किसान 100 रुपये सैकड़ा पर नींबू बेचते हैं। परिवहन खर्च और फुटकर विक्रेता अपनी कमाई निकालकर यह नींबू पांच रुपये नग में बेचते हैं। नींबू की क्वालिटी जानने वाले इसे इस दाम पर आसानी से खरीद लेते हैं। नागेश ने बताया कि अब कर्नाटक के अलावा अन्य राज्यों से भी नींबू की मांग आ रही है।

 नागेश चंद्राकर के फार्म हाउस में पौधों की देखरेख के अलावा नींबू की तोड़ाई करने वाले किसान छन्नू साहू बताते हैं कि पौधा अभी दो साल का है। बीते वर्ष जब नींबू का फल आया, तभी इन पौधों की लागत निकल गई। अब यह पौधे का दूसरा वर्ष है। बताया गया कि 10-10 फीट की दूरी पर पौधा लगाया गया है। एक पौधे में डीएपी, पोटाश, यूरिया और राखड़ की 100 ग्राम मात्रा खाद के तौर पर लगता है वह भर पांच से छह माह में एक बार। छन्नू ने बताया कि ड्रीप इरिगेशन से पौधों की सिंचाई होती है। 15-15 दिन में फल का बेहतर आकार आता है, जिससे इस अवधि में तोड़ाई होती है। हर 15 दिन में 10 से 12 हजार रुपये की आवक होती है। छन्नू ने यह भी बताया कि जब यह नींबू बेंगलुरू भेजा जाता है तो एक-एक नींबू की छंटाई होती है। साफ-सुथरा व बड़े आकार का नींबू ही एक्सपोर्स्ट किया जाता है। शेष नींबू स्थानीय बाजार में 70 से 80 रुपये सैकड़ा में बिकता है। जिसे फुटकर विक्रेता दो से ढाई व तीन रुपये नग में बेच देते हैं। छन्नू का कहना है कि कम बीज, ज्यादा रस और बड़े आकार के कारण लोग इस नींबू का आचार बनाने में ज्यादा उपयोग करते हैं। दो नियमित कर्मचारी पौधों की देखरेख, तोड़ाई, सिंचाई का काम निपटा लेते हैं। कम लागत और बेहतर आमदनी से किसान को काफी लाभ हो रहा है।

 

 Source: Nai Dunia