धान की नई किस्म पराली का समाधान

October 13 2018

आज  हम बात कर रहे है धान की फसल के बारे में इसकी नई किस्म को अपना कर किसान अपनी समस्याओं को काफी हद तक हल कर पाएंगे | पंजाब में पराली की समस्या की वजह से लोगों को बहुत दिक्कत होती थी इसकी वजह से प्रदूषण भी बहुत अधिक मात्रा में बढ़ जाता था | पंजाब कृषि विश्वविद्यलय में इसको लेकर कब से शोध चल रहा था |  अब जाकर यह शोध पूरा हुआ उन्होंने धान की नई किस्म खोजी है जिस से किसान पराली की समस्या से निजात पा सकेगा |  इस किसम से किसानों  को उपज भी ज्यादा मात्रा में मिलेगी और इस से पराली भी कम मात्रा में होगी |

पी.ए.यू पराली के प्रबंधन को लेकर अलग-अलग तरह के प्रयास कर रहा है। वह पराली को खेतों में खपाने को लेकर आधुनिक मशीनरी बनाने पर जोर दे रही है, वहीं धान की ऐसी किस्में भी ईजाद कर रहा  है, जो अधिक उत्पादन के साथ पराली कम पैदा करें। विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि इन किस्मों का जहां हारवेस्ट इंडेक्स अधिक है, वहीं पराली की मात्रा कम है। इससे पराली संभालना आसान हो जाता है| पी.ए.यू के डायरेक्टर डॉ. जसकरण सिंह का कहना है कि यह किस्में कम समय में पक कर तैयार हो जाती है जिससे किसानों को पराली प्रबंधन के लिए अधिक समय मिलता है। यह सितंबर के मध्य में पककर तैयार हो जाती है। सितंबर के अंत तक कटाई की जा सकती है।यह किस्में लगाने पर खेत अक्टूबर के पहले सप्ताह में खाली हो जाते हैं। पीआर 123 व 122 की कटाई अक्टूबर के दूसरे हफ्ते की शुरुआत में की जा सकती है। इसके बाद किसान पराली प्रबंधन के तहत कंबाइन के साथ धान की फसल की कटाई करवाने के बाद बची हुई पराली एमबी प्लो , चौपर व अन्य मशीनों की मदद से जमीन में मिलाकर कुछ दिनों में आम ड्रिल के साथ गेहूं की बिजाई कर सकते हैं। इससे गेहूं के झाड़ पर कोई बुरा असर नहीं पड़ता।

कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि पराली को नाइट्रोजन, फास्फोरस व पोटाशियम खाद के साथ मिट्टी में मिलाने से सिर्फ झाड़ ही नहीं बढ़ता, बल्कि मिट्टी की सेहत भी सुधरती है। सूबे में अधिक समय लेने वाली गेहूं की बिजाई 25 अक्टूबर से शुरू हो जाती है और दस नवंबर तक चलती है | इसकी वजह  से किसानो को काफी राहत मिलेगी |

Source: Krishi Jagran