गन्‍ना किसान उग्र हुए ताे जागी पंजाब सरकार, राहत देने को उठाया यह बड़ा कदम

December 06 2018

पंजाब में गन्‍ना किसानों के आंदोलन ने उग्र रूप धारण किया तो कैैप्‍टन अमरिंदर सिंह नींद से जागी। पंजाब सरकार किसानों और चीनी मिलों को राहत देने के लिए बड़ा कदम उठाने जा रही है। पंजाब की प्राइवेट चीनी मिलों को गन्ने के न्यूनतम समर्थन में वृद्धि के लिए पंजाब सरकार अपनी ओर से 25 रुपये प्रति क्विंटल देने को तैयार दिख रही है। इस पर सरकार और प्राइवेट चीनी मिलों को चलाने पर सहमति होती दिख रही है। पंजाब सरकार किसानों को गन्‍ने के भुगतान के लिए चीनी मिलों को प्रति क्विंटल 25 रुपये की सब्सिडी देगी।

यह घोषणा मुख्‍यमंत्री कैप्‍टन अमरिंदर सिंह ने की। उन्‍होंने अधिकारियों और चीनी मिल के प्रति‍निधियों के साथ बैठक में इसे मंजूरी दी। दूसरी ओर, फगवाड़ा- जालंधर नेशनल हाईवे पर लेकर धरनर देकर पर बैठे किसानों को मनाने के लिए ग्रामीण विकास एवं पंचायत मंत्री तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा ने कमान संभाल ली है और वह प्राइवेट चीनी मिलों, किसानों व सरकार के बीच सहमति बनाने के लिए आगे आए हैं।

मुख्‍यमंत्री कैप्‍टन अमरिंदर सिंह ने ट्वीट कर इस मामले की जानकारी दी। मुख्‍यमंत्री ने कहा कि गन्‍ना किसानों की बकाया राशि के भुगतान के संबंध में निजी चीनी मिल मालिकों से बात हुई और इसमें सहमति बन गई।  सरकार ने चीनी मिल मालिकों को तुरंत मिल चालू करने के लिए तैयार कर लिया है। किसानों को उनके गन्‍ने के बकाये के भुगतान के लिए सरकार चीनी मिलों को 25 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से सब्सिडी देगी।इससे पहले बाजवा के साथ-साथ चीफ सेक्रेटरी करण अवतार सिंह, एडिशनल चीफ सेक्रेटरी डेवलपमेंट विश्वजीत खन्ना और प्रिंसिपल सेक्रेटरी अनिरुद्ध तिवारी की बैठक हुई शामिल हुए। इसके अलावा प्राइवेट चीनी मिलों के नुमाइंदे भी मीटिंग में मौजूद थे।

काबिले गौर है कि केंद्र सरकार ने गन्ने का समर्थन मूल्य 275 रुपये प्रति क्विंटल निश्चित किया हुआ है। इस पर पंजाब सरकार ने स्टेट प्राइस 35 रुपये बढ़ाकर इसे 310 रुपये किया था। प्राइवेट चीनी मिलें पंजाब सरकार की ओर से बढ़ाई गई कीमत देने को तैयार नहीं हैं। उनकी मांग है कि यह राशि सरकार दे।

चीनी मिल मालिकों का कहना है कि बाजार में चीनी का मूल्य कम होने के कारण मिलें पहले से ही घाटे में हैं। ऐसे में उन्होंने अभी तक अपनी चीनी मिलें शुरू नहीं की हैं। पंजाब में 70 फीसदी से ज्यादा प्राइवेट चीनी मिलें पिराई करती हैं। दोनों पक्षों के बीच बातचीत लगभग फाइनल हो गई है। 

बाद में उनकी मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ बैठक हुई। मुख्‍यमंत्री ने इस पर मुहर लगा दी। उधर, चीनी मिलें शुरू करने को लेकर आज भी किसान फगवाड़ा, मुकेरियां आदि में नेशनल हाईवे पर बैठे हैं जिन्हें मनाने के लिए प्रशासन लगातार कोशिशें कर रहा है।

 

Source: Jagran