किसानों को फसल बीमा के 5300 करोड़ भी मिलेंगे

May 16 2018

भोपाल। प्रदेश सरकार चुनावी साल में वोट बैंक को मजबूत करने की कोई कसर छोडऩा नहीं चाहती है। किसानों को रिझाने का हर मौका भुनाना चाहती है। रिझाने की इसी श्रृंखला के तहत भावान्तर योजना, कृषक समृद्धि योजना, समर्थन मूल्य पर खरीदी में पैसा बांटने के बाद अब फसल बीमा का भुगतान करने की कवायद की जा रही है ताकि किसानों की झोली भरी रहे और वो सरकार को याद करते रहें। लेकिन दूसरी तरफ एक जून से होने वाले किसान आंदोलन की सूचना ने सरकार की नींद भी उड़ा दी है। अब सरकार खरीफ 2017 का फसल बीमा दावा भुगतान करने की तैयारी में है।

म.प्र. के किसानों को खरीफ 2017 में 500 करोड़ का प्रीमियम जमा करने पर लगभग 5300 करोड़ का भुगतान किया जाएगा। इससे लगभग 17 लाख से अधिक किसान लाभान्वित होंगे। इसके लिए केन्द्र एवं राज्य का अंश जारी कर दिया गया है अब फसल बीमा कंपनियां भुगतान की कार्यवाही करेंगी।

जानकारी के मुताबिक प्रदेश में खरीफ 2017 में 34 लाख से अधिक किसानों का करीब 70 लाख हेक्टेयर का बीमा कराया गया था। इसमें से लगभग 17 लाख किसानों को 5300 करोड़ का बीमा दावा भुगतान किया जाएगा। किसानों ने खरीफ 2017 में 505 करोड़ रुपए का प्रीमियम जमा किया था। इस प्रीमियम के अलावा बीमा कंपनियों को 1621.81 करोड़ राज्यांश एवं इतना ही 1621.21 करोड़ केन्द्रांश दिया गया है।

 खरीफ 2017 फसल बीमा  

कुल किसान 3425805

बीमित क्षेत्र 6982075 हे.

किसानों द्वारा प्रीमियम 505.59 करोड़

राज्यांश 1627.81 करोड़

केन्द्रांश 1627.81 करोड़

कुल प्रीमियम 3761.21 करोड़

दावा भुगतान 5339.17 करोड़

लाभान्वित किसान 1725651

ज्ञातव्य है प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत राज्य में एग्रीकल्चर इंश्योरेंश कंपनी (एआईसी), आईसीआईसीआई लोम्बार्ड और एचडीएफसी कार्य कर रही है। खरीफ 2017 में इसमें सबसे अधिक लगभग 11 लाख 18 हजार किसानों को एआईसी कंपनी 3165 करोड़ 42 लाख का दावा भुगतान करेगी। इसी प्रकार आईसीआर्ईसीआई लोम्बार्ड 3 लाख 60 हजार किसानों को 1752 करोड़ 98 लाख का तथा एचडीएफसी 2 लाख 46 हजार से अधिक किसानों को 420 करोड़ 77 लाख रुपए का दावा भुगतान करेगी। देश एवं प्रदेश के किसानों को आर्थिक सुरक्षा मुहैया कराने वाली प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना ने खरीफ 2017 से अपने दूसरे वर्ष में प्रवेश कर लिया है। ज्ञातव्य है कि यह योजना खरीफ 2016 से लागू की गई थी।

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Source: Krishak Jagat