कम कीमत से किसान परेशान

December 11 2018

चुनावी दंगल के बीच देश एवं प्रदेश का किसान बार-बार पटखनी खा रहा है, एक तरफ कुंआ है तो दूसरी तरफ खाई। अधिक उत्पादन ले तो भी लागत नहीं निकलती और कम उत्पादन ले तो लागत नहीं निकलने के साथ-साथ भूखे रहने की नौबत आ जाती है। आखिर किसान क्या करें? इस ओर सरकार को ध्यान देकर कोई ठोस पहल करनी चाहिए जो किसान के हित में हो। पांच राज्यों का चुनावी दंगल समाप्त होने में अभी कुछ दिन शेष है परन्तु पार्टियां सरकार बनाने की कवायद में लगी हुई है। इधर किसान आलू, प्याज, लहसुन, बैंगन आदि सब्जी फसलों को फेंकने पर मजबूर है क्योंकि उन्हें कीमत नहीं मिल रही है और औने-पौने दाम पर खरीद हो रही है। वर्तमान में प्याज किसानों को रुला रही है, बाद में यह सरकार को रुलाएगी। यह वही प्याज है जो सरकार बदल देती है।

म.प्र. एवं महाराष्ट्र में प्याज की बंपर आवक हो रही है क्योंकि उत्पादन में बढ़ोत्तरी हुई है। इस कारण प्याज के दाम निचले स्तर पर आ गए हैं। म.प्र. की रतलाम, नीमच, सैलाना एवं मंदसौर मंडियों में प्याज 50 पैसे से 2 रुपए किलो तक बिक रही है जिससे किसानों में रोष है। जानकारी के मुताबिक कुछ किसानों ने प्याज एवं लहसुन सड़क पर फेंक दी है तथा कुछ मंडी में ही छोड़कर चले गए हैं। उनका कहना है कि जब कुछ मिलेगा ही नहीं तो लागत कैसे निकलेगी। ऐसे में वापस ले जाने का खर्च करना लाभदायक नहीं है।

इधर नई फसल की सही कीमत न मिलने के कारण महाराष्ट्र के किसानों में नाराजगी बढ़ती जा रही है। उनकी हताशा इस कदर बढ़ चुकी है कि उन्होंने अपनी फसल को ही नष्ट करना शुरू कर दिया है। विरोध जताने के लिए एक प्याज किसान ने अपनी उपज की कीमत प्रधानमंत्री को भेज दी। बैंगन की कीमत महज 20 पैसे और प्याज की कीमत सिर्फ एक रुपये 40 पैसे प्रति किलो मिलने से किसान दु:खी हैं।

प्याज का 1500 रु. क्विंटल भाव मिले

किसानों के मुताबिक 1200 से 1500 रु. प्रति किलो बीज मिलता है। एक एकड़ में 4-5 किलो बीज लगता है फिर निंदाई-गुड़ाई आदि में 15 हजार रुपए लगते हैं, कुल मिलाकर एक एकड़ में 48 हजार रुपए खर्च आता है। ऐसे में कम से कम 1500 रुपए क्विंटल भाव मिलना चाहिए।

अहमदनगर जिले की रहाटा तहसील के सकूरी गांव के किसान राजेन्द्र बावाके ने कहा कि उन्होंने बैंगन की फसल पर दो लाख रुपए लगाए और जब फसल तैयार हुई तो उससे महज 65 हजार रुपए मिल रहे थे। हताशा में राजेन्द्र ने अपने खेतों में लगे बैंगन के सभी पौधे उखाड़ फेंके। बावाके ने दावा किया कि जब उन्होंने अपने उत्पाद महाराष्ट्र के नासिक और गुजरात के सूरत में स्थित थोक बाजारों में बेचने की कोशिश की तो उन्हें केवल 20 पैसे प्रति किलो के हिसाब से कीमत मिली।

नासिक जिले के प्याज किसान संजय साठे का 750 किलो प्याज बाजार में सिर्फ 1,064 रुपए में बिका। नाराजगी जताने के लिए साठे ने यह राशि प्रधानमंत्री को भेजी है। साठे ने कहा कि सरकार कहती है कि वह किसानों के साथ है और उन्हें उनकी उपज का उचित दाम मिलेगा, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और है।

इधर उत्तर प्रदेश में भी नई फसल की बाजार में आवक के साथ ही आलू किसानों की दुर्गति शुरू हो गई है। एक पखवाड़े पहले तक थोक मंडी में प्रति किलोग्राम 10-12 रुपये चल रहे आलू के दाम औंधे मुंह गिरे हैं। किसानों ने सरकार से जल्द से जल्द आलू का समर्थन मूल्य घोषित करने की मांग शुरू कर दी है। 

 

 

Source: Krishak Jagat