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पशुओं में होने वाली ब्रूसेलोसिस, रैबीज, ग्लैण्डर्स आदि बीमारियों के इलाज के लिये बहु-विभागीय समन्वय की आवश्यकता है। अपर मुख्य सचिव, पशुपालन श्री मनोज श्रीवास्तव यहाँ पशुओं की ब्रूसेलोसिस और अन्य बीमारियों पर नियंत्रण संबंधी राष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे।
एसीएस श्री श्रीवास्तव ने कहा कि यह समझने की आवश्यकता है कि मनुष्य में होने वाली कुल बीमारियों में से 60 प्रतिशत पशुओं द्वारा संक्रमित होती हैं। कुल 1415 पेथोजेन्स हैं जो मनुष्यों को प्रभावित करते हैं। इनमें से 61 प्रतिशत पशुओं द्वारा संक्रमित होते हैं। इसलिये पशुओं की बीमारियों का कोई एकयामी और मात्र विभागीय तरीके से चलाये जाने वाला नियंत्रण कार्यक्रम, चाहे कितने भी अच्छे उद्देश्यों से प्रेरित हों, सफल नहीं हो सकता। उन्होंने बताया कि रैबीज के मामले में आदमियों का इलाज करने वाली एप्रोच की जगह कुत्तों का वृहद स्तर पर टीकाकरण दुनिया भर में ज्यादा उपयोगी पाया गया है। श्री श्रीवास्तव ने कहा कि सेमीनार में पशुपालन विभाग के चिकित्सकों के साथ स्वास्थ्य विभाग के चिकित्सकों को भी शामिल किया जाना चाहिये। उन्होंने कहा कि पशु स्वास्थ्य सिर्फ किसी पशु या मनुष्य का शारीरिक मुद्दा नहीं है बल्कि हमारी अर्थव्यवस्था को प्रभावित करने वाला मुद्दा है। सेमीनार को पशुपालन विभाग के अधिकारियों के साथ हिसार, बैंगलुरू और अन्य शहरों के संस्थानों से आये वैज्ञानिकों ने भी सम्बोधित किया।
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स्रोत: Krishak Jagat