पॉली हाउस में उगा रहे धरती से सोना

February 16 2018

चाहे बारिश हो या लू या फिर पाला। फूलों व सब्जियों की फसल को इनसे कोई नुकसान नहीं। इसके लिए पॉली हाउस तकनीक उपयोगी साबित हो रही है। अलीगढ़ जिले के किसानो ने आधुनिक खेती की ओर से लगातार कदम बढ़ा रहे हैं। अब तक 15 पॉली हाउसों में खेती की जा रही थी। इनमें किसान ऑफ सीजन फूल व सब्जियां पैदा कर सोना पैदा कर रहे हैं। अब छह पॉली हाउस और शुरू होने जा रहे हैं।

जिले में गेहूं, सरसों, आलू जैसी परंपरागत खेती से हटकर फूल व सब्जियों की खेती खूब होने लगी है। इसके लिए किसान खेती की आधुनिक पद्धति भी अपना रहे हैं। इसमें पॉली हाउस शामिल हैं। अभी तक 15 पॉली हाउसों में 75 बीघा खेती हो रही थी। अब छह और तैयार होने जा रहे हैं। एक पॉली हाउस में पांच बीघा (एक एकड़) खेती होती है। इनके तैयार होने से पॉली हाउस में होने वाली खेती का रकबा 105 बीघा (21 एकड़) हो जाएगा।

फूलो व शिमला मिर्च की मांग : आजकल स्वागत व शादी समारोहों के साथ अन्य मौकों पर फूलों की खूब मांग होती है। इनमें गेंदा, गुलाब, ग्लेडूलस, लिलियम के फूल शामिल हैं। इनमें से कुछ फूल सजावट व बुके में इस्तेमाल किए जाते हैं। सब्जियों की बात करें तो सर्दियों में भी सलाद के रूप में खीरा की मांग है। इसके लिए बीज रहित खीरा पैदा हो रहा है। पीली व लाल रंग शिमला मिर्च, ब्रोकली (हरी गोभी) की भी मांग है। इनसे सब्जियों में दूसरी फसलों की तुलना में अच्छा मुनाफा होता है, लेकिन इसके लिए पॉली हाउस की जरूरत पड़ती है।

जमीन व अनुदान : एक पॉली हाउस लगाने के लिए एक एकड़ जमीन की जरूरत पड़ती है। फूलों के लिए पॉली हाउस बनाने में 50 लाख रुपये की लागत आती है, सब्जियों के लिए 40 लाख रुपये। इसमें केंद्र सरकार की ओर से औद्यानिक खेती को बढ़ावा देने के लिए 50 फीसद अनुदान दिया जा रहा है।

बोले किसान

पॉली हाउस से फूलों की अच्छी खेती हो रही है। फूलों की बाजार में खूब मांग भी है। किसानों की आय बढ़ाने के लिए पॉली हाउस अच्छा साधन है। 

- डॉली सिंह, गौंडा

पॉली हाउस में खेती अच्छा अनुभव है। इसमें शिमला मिर्च व लिलियम फूलों की खेती उगा रहे हैं। दोनों ही कमाई वाली फसलें हैं।

- मोहन सिंह, बहादुरपुर, इगलास

पॉली हाउस की तरफ किसानों का रुझान लगातार बढ़ रहा है। इससे फूल व सब्जियों की खेती कर किसान अपनी आय बढ़ा सकते है। सरकार इसके लिए अनुदान भी दे रही है।

- एनके साहनिया, जिला उद्यान अधिकारी

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Source: Krishi Jagran