इस सीजन भिण्डी की सही समय पर बुवाई कर लाभ उठाएं

February 12 2018

किसान भाइयों भिण्डी जैसी महत्वपूर्ण फसल की बुवाई आप फरवरी व मार्च तक कर सकते हैं। यह फसल साधारण तौर पर हल्की भुरभुरी, रेतीली दोमट भूमि पर की जाती है। हालांकि यह सभी प्रकार की भूमि पर खेती के लिए सिद्ध सब्जी की फसल है। इसकी बुवाई से पहले खेत की अच्छी तरीके से दो से तीन बार जुताई करके डीकम्पोजर खाद का इस्तेमाल करें। नीम केक व अन्य जैविक उर्वरक के इस्तेमाल से भिण्डी की फसल पैदावार अच्छी होती है। 24 से 27 डिग्री सेल्सियस तापमान पर यह अच्छी उपज वाली फसल है। जिन जगहों पर अच्छी बारिश होती है वहाँ पर वर्षाकालीन भिण्डी की बुवाई कर अच्छा उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है।

बुवाई का समय- सामान्यतया इसकी बुवाई का समय जलवायु, किस्म, व भूमि पर निर्भर करता है। लेकिन साधारण तौर पर जनवरी से मार्च के बीच इसकी बुवाई की जाती है।

भिण्डी की उन्नत किस्में-

पूसा मखमली- आईएआरआई द्वारा विकसित यह उन्नत किस्म हल्की हरी रंग की भिण्डी होती है। यह अच्छी उपज के लिए एक सिद्ध किस्म है।

पूसा सावनी- यह भी आईएआरआई नई दिल्ली द्वारा विकसित एक किस्म है जो ग्रीष्मकालीन,वर्षाकालीन व वसंतकालीन फसल के लिए उपयुक्त किस्म है।

अर्क अनामिका-

आईआईएचआर बैंगलौर द्वारा विकसित इस किस्म में बुवाई के 40 से 45 दिन बाद मुख्य शाखाओं में फल आते हैं।

पंजाब नं. 13- पंजाब कृषि विश्वविद्दायलय द्वारा विकसित इस किस्म की भिण्डी भी हल्के हरे रंग की होती है। यह भी ग्रीष्मकालीन व वसंतकालीन ऋतु की फसल के लिए उपयुक्त किस्म है।

बुवाई की विधि-

इसकी बुवाई 75x20 सेमी व 60x45 सेमी पर करनी चाहिए। बुवाई से पहले बीज को पानी में भिगो लेना चाहिए।

बुवाई-

भिण्डी की ग्रीष्मकालीन बुवाई के लिए प्रति हैक्टेयर साढ़े तीन से साढ़े पांच किलो बीज चाहिए होती है। तथा वर्षाकालीन बुवाई के लिए 8 से 10 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर की दर से बीज की बुवाई करनी चाहिए। बुवाई से पहले बीज को वास्टिन (0.6 %) में 6 घंटे तक बीज को भिगो देना चाहिए। बीज को छाया में सुखाना चाहिए।

खाद एवं उर्वरक-

भिण्डी की फसल के लिए सामान्यतया यूरिया, कैल्शियम अमोनियम नाइट्रेट, फॉस्फोरस आदि का इस्तेमाल करते हैं। वैसे भूमि की उर्वरता पर भी खाद का उपयोग निर्भर करता है। हायब्रिड बीजों के लिए एन.पी.के का इस्तेमाल करें। 30% नाइट्रोजन,50 प्रतिशत फॉस्फोरस व पौटेशियम का इस्तेमाल का उपयोग सबसे पहले करना चाहिए। बुवाई के लगभग सात सप्ताह बाद 30% नाइट्रोजन,25%फॉस्फोरस व पौटेशियम का प्रयोग करना चाहिए।

सिंचाईं-

भिण्डी की फसल में सिंचाई भूमि पर निर्भर करती है। जिन जगहों पर वर्षा सामान्य या अधिक होती है वहाँ पर भिण्डी की फसल में सिंचाईं की जरूरत नहीं होती है। लेकिन सामान्य तौर पर अच्छी उपज के लिए बुवाई के कुछ दिन बाद सिंचाईं की जा सकती है। ग्रीष्मकालीन भिण्डी में 4 से 5 दिन के अंतराल पर सिंचाईं की जाती है।

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Source: Krishi Jagran