1 अरब की योजना से होगा उद्यानिकी विकास

January 15 2020

म.प्र. के किसानों और बेरोजगार नौजवानों की आर्थिक समृद्धि के लिए उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र काफी मददगार साबित हो सकता है। किसान मैदानी फसलों के साथ-साथ उद्यानिकी फसलें लेकर अपनी आमदनी बढ़ा सकते हैं तथा बेरोजगार नौजवान आधुनिक तकनीक के साथ खाद्य प्रसंस्करण का कारोबार अपनाकर स्वावलम्बी बन सकते हैं। इसी उ्देश्य की पूर्ति के लिए राज्य सरकार ने प्रदेश में उद्यानिकी कार्य को बढ़ावा देने के लिए 1 अरब की मुख्यमंत्री बागवानी तथा खाद्य प्रसंस्करण योजना लागू करने का निर्णय लिया है।

चुने गए स्थानों पर उद्यानिकी क्लस्टर बनाए जाएंगे जिनमें संरक्षित खेती में फूल, सब्जी एवं मसालों की खेती, नर्सरी विकास, शेड नेट, टिश्यू कल्चर आदि गतिविधियां होंगी। उद्यानिकी आयुक्त डॉ. एम. कालीदुरई ने बताया कि यह महत्वाकांक्षी योजना औद्योगिक क्षेत्रों में औद्योगिक विकास निगम द्वारा तथा राजस्व भूमि पर उद्यानिकी विभाग द्वारा क्लस्टर की स्थापना कर की जाएगी। उन्होंने बताया कि योजना के तहत 30 साल के लिए भूमि लीज पर उपलब्ध कराई जाएगी,  इसके तहत प्रत्येक आवेदक को एक से ढाई एकड़ भूमि आवंटित की जाएगी। आयुक्त ने बताया कि चिन्हित क्षेत्रों में उद्यानिकी विभाग द्वारा आवेदन बुलाए जाएंगे जिसमें व्यक्ति, कंपनी या विधिवत पंजीकृत संस्थाएं पात्र होंगी।

औद्योगिक क्षेत्र में

वहीं योजना के तहत औद्योगिक क्षेत्र में उद्यानिकी क्लस्टर के लिए आवंटित भूमि का प्रीमियम 5 लाख रुपये प्रति एकड़ तथा भू-भाटक 2500 रुपये प्रति एकड़ होगा।

राजस्व भूमि पर

डॉ. कालीदुरई ने बताया कि दूसरे घटक के तहत राजस्व भूमि पर उद्यानिकी क्लस्टर के लिए 25 एकड़ से कम भूमि का चयन नहीं किया जाएगा। उन्होंने बताया कि चयनित हितग्राहियों को भूखण्ड आवंटित किए जाएंगे तथा उसमें आधारभूत सुविधाएं विकसित की जाएंगी जैसे सड़क, बिजली, पानी, कोल्ड रूम, राईपनिंग चेम्बर, कांफ्रेंस रूम एवं ऑफिस आदि।

उन्होंने बताया कि उद्यानिकी क्ललस्टर विकसित करने में नीतिगत निर्णय लेने के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में समिति भी गठित की जाएगी जिसके सदस्य पीएस उद्यानिकी, वित्त, ऊर्जा, कृषि एवं उद्योग नीति एवं निवेश होंगे तथा उद्यानिकी आयुक्त सदस्य सचिव होंगे।

यह समिति म.प्र. राज्य औद्योगिक भूमि प्रबंधन नियम 2015 में संशोधन कर आवंटित भूखण्ड को अनुमोदन करेगी। उन्होंने बताया कि नियम में संशोधन तभी होगा जब उद्यानिकी क्लस्टर निर्मित करने के लिए आवश्यक होगा।

 

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स्रोत: कृषक जगत