कुसुम की नई किस्म देगी ज्यादा तेल, दिल भी रखेगी बेहतर

June 12 2019

इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने तिलहन फसल कुसुम की नई किस्म कुसुम-वन तैयार की है। यह न केवल पहले से चार फीसद ज्यादा तेल देगी, बल्कि दिल का भी ज्यादा बेहतर ख्याल रखेगी। खास बात यह है कि कुसुम की मौजूदा किस्म पीबीएनएस-12, जहां 145 दिन में पकती है, वहीं नई किस्म 125 दिन में ही पक कर तैयार हो जाएगी।

कृषि विवि के अनुवांशिकी एवं पादप प्रजनन विभाग के विभागध्यक्ष डॉ. अरविंद कुमार सरावगी के मुताबिक छग कुसुम वन की नई किस्म लगभग दो वर्ष के रिसर्च के बाद तैयार हुई है। इसके तेल में मोनो तथा पॉली असंतृप्त वसा ज्यादा होने से हृदय रोगियों के लिये यह सर्वोत्तम पाया गया है। कृषि विवि में तैयार कुसुम वन को मध्यम अवधि की प्रथम किस्म का बीज मानते हुए राज्य बीज उपसमिति के माध्यम से अनुमोदित भी किया गया है।

बर्रे भाजी के नाम से भी प्रचलित

कुसुम छत्तीसगढ़ में बर्रे भाजी के नाम से भी प्रचलित फसल है। यह मुख्यत: सर्वाधिक गुणों से युक्त तेल के लिए उगायी जाती है। छत्तीसगढ़ में फिलहाल लगभग 10,000 हेक्टयर क्षेत्र में इसका उत्पादन किया जा रहा है। धान के बाद रबी बुआई में यदि देर हो रही है, तो कुसुम की खेती सर्वोत्तम होती है ।

इस किस्म की उपज सिंचित अवस्था में 20-24 क्विंटल प्रति हेक्टेयर व असिंचित अवस्था में 9-10 क्विंटल प्रति तक पैदा होती है। जो कि वर्तमान में प्रचलित पीबीएनएस-12 के बराबर है, किन्तु छत्तीसगढ़ कुसुम-1 में, पीबीएनएस-12 की तुलना में तेल का प्रतिशत अधिक है। जहां पीबीएनएस-12 किस्म में तेल की मात्रा 29 फीसद पायी जाती है, वहीं छत्तीसगढ़ कुसुम-1 से 33 फीसद तेल प्राप्त होगा।

पानी भी अन्य फसलों से कम

अनुसंधान से जुड़े कृषि वैज्ञानिक डॉ. राजीव श्रीवास्तव का कहना है कि छत्तीसगढ़ कुसुम-1 फसल को अन्य फसलों की तुलना में पानी की मात्रा कम लगती है। एक अथवा दो सिंचाई पर्याप्त होती हैं। पहली सिंचाई बोआई के समय और दूसरी शाखा बनते समय लगभग 60 दिनों में करना बेहतर होता है। शुरुआत की अवस्था में पत्तों की संख्या अधिक होने से यह किस्म भाजी के लिए भी अच्छी पायी गयी है। विश्वविद्यालय का कुसुम फसल अनुसंधान का प्रमुख लक्ष्य जल्दी पकने वाली 100-110 दिनों में पककर तैयार होने वाली किस्मों को विकसित करना है।

फैक्ट फाइल

-प्रदेश में 10,000 हेक्टयर क्षेत्र में होती है कुसुम की पैदावार

-उपज सिंचित अवस्था में 20-24 क्विंटल प्रति हेक्टयर

-असिंचित अवस्था में 9-10 क्विंटल प्रति हेक्टयर

-पुष्पन 80-85 दिनों में शुरू हो जाता हैं

-छत्तीसगढ़ कुसुम-1 में 33 फीसद तेल होगा प्राप्त

इनका कहना है

लगभग दो वर्ष की रिसर्च के बाद छग कुसुम वन का नया बीज तैयार हुआ है। इसके तेल में मोनो तथा पॉली असंतृप्त वसा ज्यादा होने से हृदय रोगियों के लिये इसका तेल सर्वोत्तम पाया गया है। यह किस्म प्रदेश ही नहीं देशभर में कम अवधि में तैयार होनी वाली फसल होगी। 

-डॉ. अरविंद कुमार सरावगी, विभागाध्यक्ष, अनुवांकिी एवं पादप प्रजनन विभाग

 

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स्रोत: नई दुनिया