इस तरीके से लगाएं बगीची में पेड़ और करें उनकी देखभाल

बारिश केवल मनुष्यों को ही नहीं बल्कि कुदरत की बनी हर चीज़ पशु-पक्षियों और ख़ास तौरपर पेड़-पौधों को भी खूब लुभाती है। इस ऋतु दौरान हर साल हज़ारों ही नहीं बल्कि लाखों पेड़-पौधे धरती ऊपर बोये या लगाए जाते हैं और समय के अंतराल से बहुत वृद्धि करते हैं। हमारे आस-पास लगाने के लिए पेड़ों की अनेक ही किस्में मिलती हैं। कई बार देखने को मिलता हैं कि शिद्द्त से लगाए हुए पेड़ समय के अंतराल से बढ़ते-फूलते नहीं या कई मुश्किलें सामने आती हैं। केवल ऐसा तब होता है जब हम पेड़ लगाने को तकनीकी काम समझने की बजाए सस्ता सौदा समझते हैं। हालांकि पेड़ लगाने से पहले, लगाने के समय और पेड़ लगाने के बाद ऐसे कई पहलू हैं जिन्हे नज़र अंदाज़ ना किया जाये तो परिणाम बेहतर सामने आते हैं।

पेड़ लगाने के समय सबसे महत्वपूर्ण बात यह होती है- जगह का चयन। पेड़ लगाने वाली जगह यदि साफ़ मतलब नदीनों से रहित और ज़मीन में पुरानी इमारत आदि का मलबा ना हो तो बेहतर मानी जाती है। जगह ज़्यादा नीचे भी नहीं होनी चाहिए ताकि पानी ज़्यादा देर ना खड़ा होता हो। यदि बरसात या ज़्यादा पानी का निकास ना हो तो पौधे मरने का खतरा बढ़ जाता है। इस उपरान्त पौधों के लिए गड्डे की पुटाई का काम सबसे महत्त्वपूर्ण होता है । गड्डे से गड्डे की दूरी और पौधे से पौधे की दूरी पेड़ की किस्म के ऊपर सीधे तौरपर निर्भर करती है। हमारे पास मोटे तौरपर तीन किस्मों के वृक्ष होते हैं जैसे कि छोटे वृक्ष, दरमियाने वृक्ष और बहुत बड़े वृक्ष।

पेड़ लगाने के समय पेड़ लगाने की मौजूदा स्तिथि के बाद में होने वाले फैलाव के अनुसार ही पेड़ लगाने चाहिए। छोटे पौधों की खातिर पौधे से पौधे की दूरी 15-20 फ़ीट, दरमियाने पेड़ों की खातिर यह दूरी 30 से 40 फ़ीट तक हो सकती है, लेकिन बहुत ज़्यादा बड़े वृक्ष जैसे कि पीपल, बोहड़ और पिलकन आदि के लिए यह दूरी 60 फ़ीट तक भी रखी जाती है। ज़्यादा नज़दीक लगाए पेड़ बढ़ते कम और बाद में कांट-छांट मांगते हैं। हाँ, यदि जगह बहुत ही कम हो तो पेड़ों की बजाए झाड़ीनुमा पौधों की तरजीह देनी चाहिए। गड्डे का आकार पौधे की गाची के मुकाबले लगभग तीन गुना ज़रूर होना चाहिए। ज़मीन ज़्यादा सख्त होने की स्तिथि में गहरे गड्डे की पुटाई करके फिर मिट्टी डालकर पौधा लगाना चाहिए। ध्यान रखें कि पौधे की गाची ज़्यादा गहरी दबने से पौधे के मरने का खतरा ज़्यादा बढ़ जाता है।

नर्सरी में पौधे खरीदने के समय कोशिश करें कि मुड़े हुए ना होने से अपना भार सहन करते पौधे ही खरीदें। जिस वृक्ष के टीसी वाले पत्ते टूटे हो वोह लगाने से परहेज़ करें क्योंकि उसकी वृद्धि सीधी और एकसार कम होगी। पौधे की गाची के आस-पास जड़ों का जाल बना हुआ है तो उसे थोड़ा खोल लें। पौधा लगाने के समय या लगाने के थोड़ी देर के बाद उसकी कांट-छांट से परहेज़ करना चाहिए। बल्कि पहले एक-दो साल पौधों को बढ़ने देना चाहिए और लगभग दो साल के बाद कांट-छांट करके अनुकूल आकार देना चाहिए। हमारी वातावरण स्तिथि में पेड़ लगाने का सबसे बढ़िया समय जनवरी-फरवरी या फिर बरसात ऋतु सितंबर महीने का होता है। हाँ, यदि पतझड़ के पेड़ लगाने हैं तो उनके लिए जनवरी महीना ज़्यादा अनुकूल माना जाता है। फरवरी महीने के दौरान पेड़ तेज धूप में लगाने की तुलना में शाम को लगाने बेहतर हैं।

गलियों और सड़कों आदि में पौधे लगाने के समय ख़ास ध्यान रखना चाहिए। जहाँ से बिजली की तारें निकलती हो, वहां बड़े पेड़ की जगह चांदनी, चमेली, टैकोमा, केशिया ग्लूका, पीली कनेर और हार सिंगार आदि पौधों को तरजीह देनी चाहिए। इसके अलावा यदि पेड़ किसी इमारत आदि के नज़दीक लगाने हो तो पेड़ों का चयन ध्यान में रखते हुए फैलाव वाले पेड़ की तुलना में सीधे बढ़ने वाले पेड़ जैसे कि मंदार, सिल्वर ओक, मरोड़ फली आदि को तरजीह देनी चाहिए। ज़्यादा लंबे पेड़ लगाने के समय उनको आसरा देने की ज़रूरत पड़ती है। लोहे आदि के मुकाबले बांस का प्रयोग बेहतर होता है लेकिन बांस के साथ भी पौधे को तार के साथ नहीं बांधना चाहिए और कोशिश करें कि पुराने कपड़े या मुलायम रस्सी का प्रयोग करें, लेकिन रस्सी को पेड़ के आस पास ज़्यादा लपेटना नहीं चाहिए और न ही ज़्यादा ज़ोर से गाँठ बाँधनी चाहिए।

पौधों को खाद ज़्यादा गहरी नहीं डालनी चाहिए, बल्कि मिट्टी की उपरली सतह में ही मिलानी चाहिए। जैविक खाद सर्दियों में और डीएपी आदि रासायनिक खाद फरवरी-मार्च या अगस्त-सितंबर में डालनी चाहिए। पेड़ों को पानी और ज़्यादा देखभाल पहले दो या तीन साल तक ज़्यादा ज़रूरी होती है, फिर कम देखभाल के साथ भी काम चल जाता है। फलदार पौधे सांझी जगह या सड़कों के किनारे लगाने से परहेज़ करना चाहिए। पौधों की कांट-छांट टहनी खींचकर करने की बजाए सही औजार के साथ ही करनी चाहिए। पेड़ लगाने के समय उनकी भविष्य में की जाने वाली देखभाल और उनकी वृद्धि आदि ज़रूर दिमाग में रखना चाहिए।

डॉ.बलविंदर सिंह लक्खेवाली
98142-39041

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