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पशुओं की खतरनाक बीमारी मुंह खुर का इलाज और सावधानियां

पशुओं में छूत की बीमारियां बहुत ही खतरनाक सिद्ध होती हैं। इन छूत की बीमारियां में से एक है मुंह खुर। यह बीमारी आमतौर पर दोगली नसल की गायों में ज्यादा होती है। देसी गायों और भैंसों में यह कम होती है। इस बीमारी के कुछ लक्षण आपसे शेयर करने जा रहे हैं ताकि जल्दी से पशु का इलाज करवाया जा सके।

1. इस बीमारी का पहला लक्षण तेज बुखार (106-107 डिगरी) फार्नाहीट हो जाता है। जिस कारण पशु चारा खाना छोड़ देते हैं और दूध की पैदावार कम हो जाती है।

2. बीमारी से दो दिन पहले मुंह में से थूक गिरता है। पशु लंगड़ा कर चलता है। मुंख खोलकर देखने पर जीभ पर, जबड़े पर और होठों के अंदर छाले हो जाते हैं।

3. तीन चार दिनों में यह समस्या सभी पशुओं को होने लग जाती है।

4. कटड़े बछड़े को हो तो अचानक मौत होनी शुरू हो जाती है।

इलाज और सावधानियां

1. फिटकरी को पानी में घोलकर उससे पशु के खुर धोने से बीमारी आगे नहीं बढ़ती और सोजिश भी कम हो जाती है।

2. गेंदे की पत्तियां, तुलसी की पत्तियां, लहसुन और नींबू के रस का पेस्ट बनाकर मुंह खुर से हुए छालों पर लगाने से छाले जल्दी ठीक हो जाते हैं और उसके बाद छालों पर बोरो गलिसरीन लगा देनी चाहिए। पशु को नर्म चारा देना चाहिए। ज्यादा देर इलाज ना करने से कई बार खुरों में कीड़े पड़ जाते हैं। ऐसी स्थिति में तारपीन के तेल का फंबा खुरों पर रख दें। हर साल 2 बार मुंह खुर से बचाव के टीके भी जरूर लगवायें।

स्त्रोत:GADVASU

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