नहीं होगा धुएं से नुकसान बायो गैस है एक वरदान

क्या है बायो गैस

बायोगैस ऊर्जा का एक ऐसा स्त्रोत है जिसका बार बार प्रयोग किया जा सकता है। इसका प्रयोग खेती और घरेलू कामों के लिए किया जाता है। इसका मुख्य कारक हाइड्रो—कार्बन है। जो ज्वलनशील होता है और इसे जलाने पर ऊर्जा और ताप मिलता है। बायोगैस का उत्पादन एक जैव रासायनिक तरीके द्वारा किया जाता है जिसमें कुछ विशेष प्रकार के बैक्टीरिया कचरे को उपयोगी बायोगैस में बदल देते हैं। इस गैस को बायोगैस कहा जाता है क्योंकि इसका उत्पादन जैविक तरीके से किया जाता है। इसका मुख्य अंश मिथेन गैस होती है।

बायोगैस उत्पादन का तरीका

बायोगैस बनाने का तरीका विपरीत होता है इसे दो भागों में बांटा जा सकता है। इन दो भागों को क्रमवार अम्ल निर्माण स्तर और मिथेन निर्माण स्तर कहा जाता है। पहले स्तर पर गोबर में मौजूद अम्ल निर्माण करने वाले बैक्टीरिया के समूह द्वारा बायोडीग्रेडेबल कम्पलैक्स कंपाउंड को क्रियाशील किया जाता है।

बायोगैस उत्पादन के लिए जरूरी कच्चे पदार्थ

पशुओं के गोबर को बायोगैस प्लांट के लिए मुख्य कच्चा पदार्थ माना जाता है, पर इसके अलावा मल, मुर्गियों की बीठें और खेतीबाड़ी के बचे—कुचे का भी इस्तेामल किया जा सकता है।

बायोगैस उत्पादन के फायदे:

1. इससे प्रदूषण से बचाव होता है क्योंकि यह वातावरण को कोई नुकसान नहीं करता।

2. इसके उत्पादन के लिए जरूरी कच्चे पदार्थ, गांवों में भरपूर मात्रा में मिल जाते हैं जिसके लिए कोई खर्चा भी नहीं करना पड़ता।

3. इससे सिर्फ बायोगैस का उत्पादन ही नहीं होता बल्कि फसलों में इस्तेमाल करने के लिए जैविक खाद भी मिलती है। जिससे फसल के उत्पादन में भी वृद्धि होती है।

4. गांवों में जो छोटे घर हैं जहां लकड़ी और गोबर की पाथियों को आग के लिए इस्तेमाल किया जाता है इससे धुएं की समस्या होती है, वहां बायोगैस का इस्तेमाल करने के साथ धुएं की समस्या नहीं आती।

5. इससे प्रदूषण पर भी नियंत्रण होता है, क्योंकि इसमें गोबर खुले में नहीं रखा जाता। जिसके कारण मच्छर और जीवाणु पैदा नहीं होते।

6. बायोगैस के साथ लकड़ियों की भी बचत होती है जिससे वृक्षों को काटने की जरूरत नहीं पड़ती और वृक्षों का भी बचाव होता है।

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