जिमीकंद कैसे उगाया जाए

यह एक उष्णकटिबंधीय बीज की फसल है जिसकी खेती भारत में की जाती है। इसका सेवन खाना बनाने और चिप्स के रूप में किया जाता है। नर्म तने और जिमीकंद के पत्तों का प्रयोग सब्जियों में किया जाता है। इसकी खेती मुख्य तौर पर यह उत्तराखंड, छत्तीसगढ़, बिहार, पश्चिमी बंगाल, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश महाराष्ट्र और उड़ीसा में की जाती है। यह प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और ओमेगा 3 फैटी एसिड का एक बहुत बढ़िया स्त्रोत है।

मिट्टी

इसके लिए लाल चिकनी मिट्टी की आवश्यकता होती है, जिसकी पी एच 5.5—7.0 होनी चाहिए। यह एक उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय फसल है। बनस्पति अवस्था के दौरान इसे अच्छी वर्षा और गर्म मौसम की और बीजों के विकास के दौरान ठंडे और शुष्क मौसम की जरूरत होती है।

किस्में

Gajendra: यह किस्म APAU, हैदराबाद द्वारा विकसित की गई है। यह 200—215 दिनों में पककर तैयार हो जाती है और इसकी औसतन पैदावार 17—21 टन प्रति एकड़ होती है।

Sree Padma: इसे CTCRI Thiruvananthapuram में विकसित किया गया है। इसकी औसतन पैदावार 17 टन प्रति एकड़ होती है।

ज़मीन की तैयारी और बिजाई

इसकी बिजाई फरवरी के महीने में की जाती है ताकि मॉनसून की पहली बारिश आने से पहले बीज अंकुरित हो सके। इसे अप्रैल—मई के महीने में रोपित किया जाता है। इसमें 20—25 सैं.मी. का फासला रखें। इसके पौधे 20—25 सैं.मी. गहरे गड्ढों में लगाएं। बीजों की बिजाई हाथों से की जाती है। और 60cm x 60cm x 45cm गहरे गड्ढों में बोया जाता है।

बीज की मात्रा

बीज के भार के अनुसार बीज का प्रयोग किया जाता है। यदि बीज का भार 250 ग्राम है तो 16 क्विंटल प्रति एकड़ और यदि 500 ग्राम है तो 30 क्विंटल बीज की जरूरत होती है। बीज उपचारित करने के लिए बाविस्टिन के 2 प्रतिशत घोल में 30 मिनट के लिए डुबोकर रखें। यह मिट्टी से पैदा होने वाली बीमारियों से बचाव करता है।

खादें और नदीनों की रोकथाम

ज़मीन की तैयारी के दौरान गली सड़ी रूड़ी की खाद 10—12 टन अच्छी तरह से मिक्स करें। बिजाई के 45 दिन बाद फास्फोरस की पूरी मात्रा, नाइट्रोजन और पोटाश की आधी मात्रा डालें। बाकी बची खुराक एक महीने बाद डालनी चाहिए। खेत को नदीन रहित बनाने के लिए 1—2 गोडाई करें और हर गोडाई के बाद मेंड़ों पर मिट्टी चढ़ाएं।

सिंचाई — इसे ज्यादातर बारिश के मौसम में लगाया जाता है। हालांकि, जब मॉनसून खत्म हो जाती है तो सिंचाई की जरूरत पड़ती है, जहां यह बड़े पैमाने पर बढ़ती है। पानी का एक स्थान पर खड़ा होना फसल के लिए हानिकारक होता है। जहां भी सिंचाई की सहूलत उपलब्ध होती है, वहां सप्ताह में एक बार सिंचाई की जा सकती है।

कटाई — फसल की बिजाई के 8 महीने बाद कटाई की जाती है और यह विशेष तौर पर जनवरी—फरवरी के महीनों में करें। जिमीकंद के तने और पत्तों का सूखना कटाई की अवस्था बताता है। अच्छी मार्केटिंग के लिए 6 महीने पहले कटाई कर लेनी चाहिए।

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