क्यों ज़रूरी है अमृत खेती?

यह खेती की प्रणाली वातावरण और मानव समाज को साथ में खुशहाल बनाती है और व्यक्ति को आर्थिक और सामाजिक समानता, खुशहाली, आज़ादी प्रदान करती है।जिससे हवा, पानी और ज़मीन रासायनिक प्रदूषण से मुक्त रहते हैं।खुराकी पदार्थ हानिकारक रसायन से मुक्त होते हैं क्योंकि रसायनिक खाद, कीटनाशक दवाई आदि का प्रयोग नहीं किया जाता।

इसके निम्नलिखित फायदे हैं:-

  1. इससे हवा, पानी और ज़मीन रासायनिक प्रदूषण से मुक्त रहते हैं।
  2. इसे वातावरण में कार्बन का फैलाव कम और ग्राहकता अधिक होती है। ऐसे होने से धरती का तापमान नहीं बढ़ता।
  3. जैवविविधता बढ़ने से, व्यर्थ पदार्थ (पत्ते, छिलके, बचा हुआ खाना, मृतक जीव, गोबर आदि) के सही उपयोग से वातारवरण साफ रहता है।
  4. इस प्रणाली में लागत और मेहनत कम हो जाती है।
  5. खुराकी पदार्थ हानिकारक रसायन से मुक्त होते हैं क्योंकि रसायनिक खाद, कीटनाशक दवाई आदि का प्रयोग नहीं किया जाता।
  6. पानी की बचत होती है।
  7. चारों तरफ की सुंदरता बढ़ती है।
  8. इससे अव्यवस्था कम होती है।
  9. जैविक कूड़ा, जिसे फ़िज़ूल समझकर फेंक दिया जाता है, उसका योग्य प्रयोग होता है।

कौन कर सकता है अमृत खेती ?

वातावरण या अपनी सेहत और सुरक्षा के प्रति संवेदनशील कोई भी व्यक्ति इसे कर सकता है। उपजाऊ और तंदरुस्त खेती के इन तरीकों को किसान, नौकरीपेशा, व्यापारी, घरेलू महिला, छात्र, बुजुर्ग, अनपढ़ कोई भी कर के देख सकता है।

कब शुरू करनी चाहिए अमृत खेती ?

जब वातावरण या स्वयं की अस्तित्व के लिए बढ़ते जा रहे खतरों को रोकने के लिए मन में कुछ करने की इच्छा पैदा होती है, वही समय यह प्रणाली अपनाने का सही समय है। सूचना तकनीक के इस दौर में आपके अंदर कभी भी यह इच्छा पैदा हो सकती है, तो तैयार रहें।

कहाँ शुरू करनी चाहिए अमृत खेती?

इसे शुरू करने के लिए बड़े खेत या बहुत से उपकरणों की ज़रूरत नहीं है। आप अपने घर या कार्य स्थल के आसपास भी कुछ आसान प्रयोग करके देख सकते हैं। पास के कुदरती साधनों का प्रयोग करके आप इस दिशा में कदम बढ़ा सकते हैं। याद रखें कि पौधों के लिए सूरजप्रकाश, उपजाऊ मिट्टी, पानी की यकीनी उपलब्धता, सुरक्षा और देखभाल बहुत ज़रूरी है। इसलिए इनकी उपलब्धता के अनुसार ही प्रयोग और स्थान का चयन करें।

कैसे शुरू की जाये अमृत खेती ?

  • खेती के पुराने प्राकृत तरीकों और वैज्ञानिक ढंग के बारे में जानकारी जमा करें।
  • अपने आसपास उपलब्ध कुदरती साधनों की सूची बनाएं।
  • आपके पास उपलब्ध स्थान और कुदरती साधनों के आधार पर प्रयोग का चयन करें।
  • आप व्यक्तिगत समय कितना दे सकते हैं उसके आधार पर काम की शुरुआत करें।
  • अमृत खेती महत्वपूर्ण स्रोत:
  • उपलब्ध कुदरती साधनों का सही उपयोग करना।
  • पौधों के अंग और उनके कार्य का प्रबंध करना। उनके रासायनिक शास्त्र, भौतिक शास्त्र, शरीर शास्त्र, जीव शास्त्र, भूमि शास्त्र का स्वयं अभ्यास करना।
  • अन्य प्रभावशाली उत्पादों का प्रबंध करना।

कुदरती साधन क्या होते हैं ?

कुदरत से मिलने वाली सुविधाएं और उत्पादों को कुदरती साधन कहा जाता है। इनमें से कुछ इस प्रकार है

  • सूरजप्रकाश और ताप
  • हवा में शामिल स्वच्छ वायु
  • पानी और उसके गुण
  • मिट्टी
  • पेड़ पौधों से मिलने वाले पदार्थ
  • पशुओं से मिलने वाले पदार्थ
  • पक्षी और उनके द्वारा किये जाने वाले काम
  • सूक्ष्म जीव
  • किट(कीट)
  • मनुष्य शरीर और दिमाग
  • गुरुत्वाकर्षण
  • चुंबकीय क्षेत्र
  • अपने खुद का समय
  • वातावरण का नमी

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