खारे-पानी

क्यों होता है खारे पानी से फसल का नुकसान

पंजाब के तकरीबन 40 प्रतिशत रक्बे में ट्यूबवैल से प्राप्त किए भूमिगत पानी में नमक की मात्रा काफी ज्यादा है। ऐसा पानी लवण सोडियम क्लोराइड या सल्फेट वाले या खारे सोडियम डाइकार्बोनेट या बाइकार्बोनेट वाले होते हैं। इसलिए यह अति आवश्यक है कि ट्यूबवैल के पानी की जांच मिट्टी पानी परीक्षण प्रयोगशाला से करवायी जाए ताकि यह पता लग सके कि इसमें कौन सी और कितनी खराबी है।

इस पानी के प्रयोग का ढंग नीचे लिखे अनुसार है:

1. निश्चित जल निकास

सिंचाई के लिए घटिया पानी वाले क्षेत्र में ज़मीन में से जड़ क्षेत्र में अतिरिक्त घुलनशील नमक का घुलकर नीचे जाना यह सुनिश्चित करना ताकि इस हिस्से में नमक और पानी का संतुलन ठीक रह सके। इस काम के लिए ज़मीन की ऊपरी निकास नालियां ज़मीन की निचली निकास नालियां बनाने की अपेक्षा सस्ती पड़ती हैं।

2. ज़मीन को अच्छे से समतल करना

सारे खेत में पानी के एकसमान वितरण के लिए ज़मीन अच्छे से समतल होनी चाहिए। अच्छे से समतल ज़मीन में से घुलनशील नमक और पानी एकसमान अवशोषित होते हैं।

3. हल्की ज़मीनों में घटिया पानी का प्रयोग

भारी ज़मीनों में पानी अवशोषण की दर कम होती है और पानी सतह पर ज्यादा देर खड़ा होने से वाष्पीकरण के बाद खारापन तेजी से बनता है, इसलिए घटिया पानी का प्रयोग हमेशा हल्की ज़मीनों में करना चाहिए।

4. फसल का सही चुनाव

घटिया पानी से सिंचाई के अधीन रक्बे में ऐसी फसलों और किस्मों को ही पहल दें जो नमक को सहनशील या अर्ध सहनशील हों जैसे जौं, गेहूं, ग्वार, सेंजी, पालक, शलगम, चुकंदर, राया और मोटे अनाज। घटिया पानी कपास के जमाव पर असर करता है। पर अच्छे पानी से बिजाई से पहले सिंचाई करके फसल का अच्छे से जमाव होता है। दालों पर खारे और लवणीय पानी का बहुत बुरा असर पड़ता है, इसलिए दालों को खारा पानी ना दें। ज्यादा पानी लेने वाली फसलें जैसे धान, गन्ना, और बरसीम को खारा पानी ना लगाएं।

5. जिप्सम का प्रयोग

ज़मीन में ज्यादा सोडियम का बुरा असर जिप्सम के प्रयोग से दूर किया जा सकता है। जब सिंचाई वाले पानी की आर.एस.सी. 2.5 एम ई प्रति लीटर से ऊपर हो तो जिप्सम के प्रयोग की सिफारिश की जाती है। आर.एस. सी. की हर एम.ई. प्रति लीटर के लिए 1.50 क्विंटल जिप्सम प्रति एकड़ चार सिंचाइयों के बाद बनता है। यदि हर सिंचाई 7.5 सैं.मी. हो तो सारा जिप्सम पहले पानी के साथ डालें। जिप्सम को ज़मीन की ऊपरी सतह (0—10 सैं.मी.) में मिलाकर भरपूर पानी लगाएं ताकि अगली फसल बोने से पहले घुलनशील नमक अवशोषित हो जाए।

6. जैविक खादों का प्रयोग

चूने वाली ज़मीनें, जिसमें कैल्शियम कार्बोनेट 2 प्रतिशत  से ज्यादा हो, में जैविक खादें जैसे देसी रूड़ी 8 टन प्रति एकड़ या हरी खाद या गेहूं की पराली 2.5 टन प्रति एकड़ हर वर्ष डालें।

7. खारा और अच्छा पानी इक्ट्ठा लगाएं

खारे और अच्छे पानी का प्रयोग इक्ट्ठा भी किया जा सकता है या दोनों बदलकर प्रयोग किया जा सकता है। फसल के शुरू में अच्छा पानी और बाद में फसल बढ़ने पर खारे पानी का प्रयोग लाभदायक है।

8. गांव में तालाब के पानी से सिंचाई

तालाब के पानी में भी फसलों के खुराकी तत्व होते हैं इसलिए पानी प्रयोग करने से पहले मिट्टी और पानी परीक्षण प्रयोगशाला से जांच करवा लेनी चाहिए और सिफारिश के अनुसार सिंचाई के लिए प्रयोग करना चाहिए।

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