कैसे करें बकरीपालन, ये हैं कुछ जरूरी कार्य

  1. बकरी की प्रजाति का चुनाव स्थानीय वातावरण को ध्यान में रखकर करना चाहिए।

2. बकरी पालन के व्यवसाय के लिए उन्नत नस्ल के प्रजनक बकरे बहार से लाकर स्थानीय बकरिओं से ही नस्ल सुधर का कार्य करना चाहिए। जो बकरी अधिक बच्चे देती है उसके बच्चे कम वजन वाले होते हैं और जो कम बच्चे देती है उसके बच्चे अधिक वजन वाले होते हैं, इस प्रकार सभी प्रजातियां लगभग एक समान ही लाभ देती हैं।

3. प्रजनक बकरा खरीदते समय ध्यान रखना चाहिए, कि बकरे कि माँ अधिक बच्चे और अधिक दूध देने वाली होनी चाहिए, बकरा शरीरिक रूप से सवस्थ और उन्नत नस्ल का होना चाहिए।

4. बकरी को गर्मी में आने के 12 घंटे बाद गाभिन करना चाहिए। अप्रैल, मई तथा अक्टूबर, नवंबर में गाभिन करवाने पर बच्चे अनुकूल मौसम में प्राप्त होते हैं।

5. बकरियों को इन ब्रीडिंग से बचाना चाहिए अर्थात जिस बकरे से बकरी को गाभिन करवाया गया हो उससे उसकी बच्ची को गाभिन नहीं करवाना चाहिए।

6. बकरी के आवास कि लंबाई वाली भुजा पूर्व पश्चिम दिशा में होनी चाहिए तथा लम्बाई वाली दीवार को एक मीटर ऊँचा चिनवाने के बाद ऊपर दोनों तरफ जाली लगानीचाहिए। बाड़े का फर्श कच्चा तथा रेतीला होना चाहिए तथा उसपे समय समय पर चुने का छिड़काव करते रहना चाहिए।

7. 80 से 100 बकरियों के लिए बाड़ा 20 x 60 कवर्ड और 40 x 60 खुला जालीदार फेंसिंग का होना चाहिए। बकरा, बकरी तथा बच्चों (ब्याने के एक सप्ताह बाद) को अलग-अलग बाड़ों में रखना चाहिए। दूसरे बच्चे बकरी के पास दूध पिलाते समय नहीं लाने चाहिए।

8. बकरी को प्रतिदिन उसके भार का 3-5 प्रतिशत शुष्क पदार्थ खिलाना चाहिए। एक प्रौढ़ बकरी को 1-3 किलोग्राम हरा चारा, 500 ग्राम से 1 किलोग्राम भूसा (यदि दलहनी हो तो अच्छा है) तथा 150 ग्राम से 400 ग्राम तक दाना प्रतिदिन खिलाना चाहिए। दाना हमेशा दलाहुआ व् सूखा ही दिया जाना चाहिए पानी नहीं मिलाना चाहिए। साबुत अनाज नहीं खिलाना चाहिए।

9. दाने में 60-65% अनाज दला हुआ 10-15% चोकर, 15-20% खली (सरसों की खली छोड़कर) 2% मिनरल मिक्सचर तथा 1% नमक का मिश्रण होना चाहिए।

10. बकरी को पीने योग्य स्वच्छ पानी ही पिलाना चाहिए, नदी, तालाब और गड्ढे में रुके हुए पानी को पिलाने से बचना चाहिए।

11. बकरियों के चरने के स्थान में परिवर्तन करते रहना चाहिए, हमेशा एक ही स्थान पर नहीं चराना चाहिए।

12. बकरियों में पी.पी. आर. ई. टी. खुरपका मुंहपका, गाल घोटु और बकरी चेचक, इन पांच संक्रामक रोगों के टीके अवश्य लगाने चाहिए। कोई भी टीका 3-4 साल की आयु के बाद ही लगाया जाता है।

13. बीमार बकरी को तुरंत बाड़े से अलग करके उसका इलाज करवाना चाहिए और ठीक होने पर फिर बाड़े में लाना चाहिए।

14. अंत: परजीवी नाशक साल में 2 बार पिलानी चाहिए (एक बार बारिश से पहले और फिर बारिश के बाद)

15. वाह्य परजीवी नाशक दवा के पानी से सावधानीपूर्वक बकरियों को स्नान करवाने से परजीवी मर जाते हैं (दवा की केवल निर्धारित मात्रा का ही प्रयोग करें)

16. अधिक सर्दी, गर्मी और बरसात में बकरिओं के बचाव का अनुकूल प्रबंध करना चाहिए।

17. बकरी ब्याने के बाद बच्चे की नाल 2 इंच छोड़कर नए ब्लेड से काटकर, टिंचर आयोडीन लगाना चाहिए।

18. नवजात शिशु को तीस मिनट के अंदर बकरी का पहला दूध पिला देना चाहिए।

19. बकरी के दूध से पनीर बनाकर अधिक लाभ कमाया जा सकता है।

20. बकरी के बच्चों को 9-12 महीने की आयु पर ईद, दीवाली और त्योहारों पर बेचकर अधिक लाभ कमाया जा सकता है।

21. बकरियों तथा बाड़े की साफ़-सफाई का खास ध्यान रखें।

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केंद्रीय बकरी अनुंसधान संस्थान, मखदूम, फरह, मथुरा, उत्तर प्रदेश

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