फलदार पौधों में पोषक तत्वों की कमी के लक्षण तथा उपाय

फलदार पौधों की वृद्धि और मयारी फलों के उत्पादन में खुराकी तत्वों की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। इसलिए किसानों को इन खुराकी तत्वों, उनकी सही मात्रा डालने के ढंग और समय के बारे में जानकारी होनी बहुत ज़रूरी है। इसलिए इन तत्वों की कमी को पहचानकर इनकी पूर्ती की जाये ताकि पौधों को लंबे समय तक सेहतमंद रखकर उत्पादन में बढ़िया मुनाफा कमाया जा सकता है। इसके अलावा किसानों को माहिरों की सिफारिश के अनुसार ही फलदार पौधों के लिए खादों का प्रयोग करना चाहिए।

बड़े खुराकी तत्वों की कमी: नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाशियम, कैल्शियम, मैग्नीशियम, सल्फर आदि बड़े खुराकी तत्व होते हैं।

नाइट्रोजन: इसकी कमी से पौधों की वृद्धि रुक जाती है। पौधों के पुराने पत्ते पीले पड़ जाते हैं। अधिक कमी के कारण नए पत्ते भी पीले पड़ जाते हैं और पुराने पते झड़ जाते हैं। उपेक्षित बागों में नाइट्रोजन की कमी आम देखने को मिलती है।

फास्फोरस: इसकी कमी के कारण पौधे का कद छोटा रह जाता है। पत्ते गहरे हरे रंग के दिखाई देते हैं। पत्तों के ऊपर जामनी धब्बे पड़ जाते हैं। फलदार पौधे और फूल कम लगते हैं। फल देरी से पकता है और उपज कम हो जाती है। अमरुद और आड़ू में इस तत्व की कमी आम देखने को मिलती है।

पोटाशियम: इसकी कमी के कारण पत्तों ऊपर से बाहर के हिस्से से पीले हो जाते हैं। यदि पौधे में इसी तत्व की कमी ज़्यादा हो तो पत्ते सड़ जाते हैं। आमतौर पर इस तत्व की कमी आम के बागों में दिखाई देती है।

कैल्शियम: कलियम तत्व की कमी के कारण नई बनी आँखें पेली पड़ जाती हैं। फलों के ऊपर धब्बे बन जाते हैं और उपज पर बुरा असर पड़ता है। इसकी पूर्ती के लिए पत्तों के ऊपर 0.5 फीसदी कैल्शियम क्लोराइड का जूनजुलाई महीने के दौरान छिड़काव किया जा सकता है।

मैग्नीशियम: इस तत्व की कमी के कारण पत्ते की मुख्य नस हरी रहती है जबकि पत्ते का ऊपर और बाहर का हिस्सा पीला पड़ जाता है। पत्ते ऊपर की तरफ मुड़ जाते हैं।

सल्फर: इसकी कमी से पौधों की वृद्धि रुक जाती है। इसकी कमी का असर ठंडे इलाके वाले बागों में अधिक देखने को मिलता है।

सूक्ष्म तत्वों की कमी और निशानी: लोहा, जिंक, मैग्नीज़, बोरोन आदि सूक्ष्म या छोटे तत्व होते हैं। आमतौर पर बागवान इन तत्वों को ज़्यादा महत्ता नहीं देते पर इनकी कमी भी घातक परिणाम पैदा करती है।

जिंक: जिंक की कमी वाले पौधों की टहनियों के ऊपर वाले पत्ते, सामान्य के मुकाबले छोटे रह जाते हैं। जिंक की कमी के कारण नए निकल रहे पत्तों पर रंगबिरंगे धब्बे पड़ जाते हैं। इस तत्व की पूर्ती के लिए जिंक सल्फेट का 0.47 फीसदी (470 ग्राम जिंक सल्फेट प्रति 100 लीटर पानी)घोल का छिड़काव करना चाहिए।

किन्नू में बहार के फुटाव के समय यह छिड़काव अप्रैल के अंत तक कर देना चाहिए पर गर्मियों के पिछेती फुटाव के लिए मध्य अगस्त में यह छिड़काव करें। अमरुद में जिंक की कमी वाले पत्तों का आकार सामान्य के मुकाबले छोटा रह जाता है। अमरुद में जिंक की पूर्ती के लिए एक किलो जिंक सल्फेट और आधा किलो चूना, 100 लीटर पानी में घोलकर जून से सितंबर के महीनों में 15 दिनों के अंतराल पर पौधों के ऊपर दोतीन छिड़काव करें।


लोहे की कमी
: लोहे या आयरन तत्व की कमी आमतौर पर नाशपाती और आड़ू के बागों में दिखाई देती है। इसकी कमी से ऊपर के पत्तों की नस की बीच की जगह हल्की पीली दिखाई देती है। सबसे ऊपर की टहनियों के निकले नए पत्तों पर लोहे की कमी (पीलापन) दिखाई देता है। समय के साथ पौधे के नीचे के पत्ते भी पीले होने लगते हैं हर प्रभावित पत्तों की नसें हरी ही रहती हैं। लोहे की कमी 0.3 फीसदी फैरस सल्फेट (300 ग्राम फैरस सल्फेट प्रति 100 लीटर पानी) के घोल का छिड़काव कर दूर की जाती है। यह छिड़काव अप्रैल के महीने में करें।


मैग्नीज़
: इसकी कमी से पत्ते पीले पड़ जाते हैं। पत्तों आकार छोटा रह जाता है। इस तत्व की कमी आमतौर पर किन्नू के बाग़ में आती है। किन्नू में जिंक और मैग्नीज़ की इकट्ठी कमी आने पर जिंक सल्फेट (0.47 फीसदी) पर मैग्नीज़ सल्फेट (0.33 फीसदी) के मध्य अप्रैल और मध्य अगस्त में छिड़काव करें।बोरोन: इस तत्व की कमी से पत्ते सड़ जाते हैं। फल का अकार छोटा रह जाता है। इस तत्व की कमी आमतौर आम के बाग़ में दिखाई देती है। बोरोन की कमी 0.1 फीसदी बोरिक एसिड के छिड़काव करके दूर की जा सकती है।

स्त्रोत रोज़ाना स्पोक्समैन

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